झारखंड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले, भाजपा के पूर्व प्रमुख नेता यशवंत सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से एक नई पार्टी बनाई है। पार्टी का नाम “अटल विचार मंच” है, जो झारखंड की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी को हजारीबाग में स्थापित करते समय, उन्होंने भाजपा पर अटल बिहारी वाजपेयी के मूल्यों से दूर हटने का आरोप लगाया। उनके अलावा, उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हेमन्त विस्व सरमा पर कड़ा हमला बोला है और राज्य सरकार से उन पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसका नाम ‘अटल विचार मंच’ है। यशवंत सिन्हा की इस कार्रवाई ने भाजपा में सियासी हलचल पैदा की है।
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Toggleप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्योदय का विकास
अटल बिहारी वाजपेयी की पुत्री अंजलि मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनकी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को ही पूरा करने का प्रयास कर रही है। आज देश में 80 करोड़ गरीब लोगों को हर महीने राशन मिलता है, महिलाओं को आर्थिक-सामाजिक सशक्तीकरण मिलता है और पीएम आवास योजना के तहत करोड़ों गरीब लोगों को घर मिलता है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्योदय का विकास कर रही है।
उनका कहना था कि गरीबों का उत्थान करने के साथ-साथ देश को वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए भी केंद्र सरकार काम कर रही है। भारत ने एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पोखरण परमाणु विस्फोट कर दुनिया में अपनी पहचान बनाई थी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए यही काम कर रहे हैं।
श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में समाजसेवा करने वाली अंजलि मिश्रा ने अमर उजाला को बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से चाहे जो भी पार्टियां बनाई जाएं, अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सिर्फ भाजपा से जुड़ा होगा।अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को पूरा करने के लिए भाजपा भी जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि यशवंत सिन्हा को अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से अलग पार्टी बनाने की बजाय वर्तमान प्रधानमंत्री के हाथ को मजबूत करना चाहिए और देश को विकास के रास्ते पर ले जाने में उनका सहयोग करना चाहिए।
झारखंड विधानसभा चुनाव में तीव्र प्रतिस्पर्धा
झारखंड विधानसभा चुनावों को कभी भी घोषित नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग की एक टीम ने राज्य का दौरा किया है ताकि चुनावी तैयारियों को देखें। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और झारखंड विधानसभा चुनावों को एक-दो सप्ताह के अंदर घोषित किया जा सकता है। राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन का मानना है कि भाजपा से कठिन मुकाबला होगा।
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