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हरियाणा विधानसभा चुनावों में केवल आरोप-प्रत्यारोप का शोर{25-09-2024}

हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्य मुद्दा विकास नहीं, बल्कि आरोप-प्रत्यारोप

हरियाणा में टूटी सड़कें, पानी की निकासी नहीं होना, बदहाल पार्क, सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशु और सफाई नहीं होना चुनावी मुद्दे नहीं बन पा रहे हैं। इनका उल्लेख मतदाताओं से लेकर उम्मीदवार तक नहीं होता।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्य मुद्दा विकास नहीं, बल्कि आरोप-प्रत्यारोप

हरियाणा विधानसभा चुनावों में केवल आरोप-प्रत्यारोप का शोर है, मुद्दे नहीं हैं। शहरों और कस्बों में समस्याएं नहीं हैं।

मतदाताओं को समस्याओं से घबराहट है, लेकिन ये घबराहट प्रत्याशियों के प्रश्नों में बदल नहीं जाती।स्थानीय और जातीय समीकरणों में मतदाता उलझे हुए हैं, जबकि अधिकांश नेता केवल आपसी बहस और आरोपों में उलझे हुए हैं। ये बातें अमर उजाला की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आई हैं। अमर उजाला ने कैथल, कलायत, उचाना कलां और जुलाना विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और यहां की समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा की।

दुष्यंत चौटाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह की जुबानी लड़ाई जारी

यह उचाना चौधरी बीरेंद्र सिंह की राजधानी है। कांग्रेस ने इस बार पूर्व मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह को यहां से चुना है। वृजेंद्र सिंह की मां प्रेमलता भी प्रचार में शामिल हैं। विशेष रूप से, लंबे समय से यहां से राजनीति करने के बावजूद उचाना में कई चुनौतियां हैं। लेकिन जजपा के दुष्यंत चौटाला बीरेंद्र सिंह परिवार के निशाने पर हैं।

बीरेंद्र सिंह ने दुष्यंत के दोबारा किंगमेकर बनने पर कहा कि किंग तो जोकर भी नहीं बन सकता। पलटवार में दुष्यंत चौटाला ने कहा कि और कितनी पार्टियां परिवर्तित होंगी। अपने भाषणों में, दुष्यंत चौटाला उचाना को औद्योगिक हब बनाने का मुद्दा उठाते हैं। साथ ही, वे दावा करते हैं कि उन्होंने 1200 करोड़ रुपये उचाना में खर्च किए हैं, जबकि बीरेंद्र सिंह ने कभी उचाना के लिए कोई कार्रवाई की है? माना जाता है कि एक उम्र में बहकी बहकी बात करती है।

लीलाराम और सुरेजवाला

कैथल में विकास की आवश्यकता है। इसे शहरी मतदाता बहुत पसंद कर रहे हैं। रणदीप सुरजेवाला अपने बेटे के लिए वोट मांग रहे हैं, क्योंकि वे दस साल पहले मंत्री रहते हुए किए गए विकास कार्यों का हवाला दे रहे हैं। साथ ही, भाजपा के विधायक लीला राम पर पांच साल में कोई विकास कार्य नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि ये कैसा विधायक बना दिया, जो हमेशा कहता रहता है कि मेरी तो चालदी कोनी। जिसकी चालदी नहीं है, उसे क्यों बनाना चाहिए?

जिसकी चलती है और काम करती है, उसे बनाओ। खासकर शहरी मतदाता, भाजपा विधायक लीलाराम से नाराज हैं क्योंकि काम नहीं हो रहा है। विकास को मुद्दा बनाने के लिए राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने काम ही पहचान और बंदे में है दम का नारा दिया है। वहीं, लीलाराम ने अपनी व्यक्तिगत टिप्पणी पर आरोप लगाए हैं। लीलाराम कहते हैं, पिता ने पिछली बार दम निकाला था, अब बेटे की बारी है।

जुलाना: तीनों नवीन चेहरे, वास्तविकता को नहीं जानते

कांग्रेस, भाजपा और आपके प्रत्याशी हलके के लिए नए हैं। हलके के साथ उनका कोई जमीनी संबंध नहीं है, इसलिए वे स्थानीय समस्याओं और मुद्दों के बारे में पूरी तरह से अनजान हैं। तीनों नेता व्यक्तिगत रूप से किसी दूसरे उम्मीदवार पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे अपनी पार्टियों और उनकी नीतियों पर सवाल उठाते हैं। पहलवान विनेश फोगाट किसान आंदोलन को लेकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं, जबकि भाजपा के कैप्टन योगेश बैरागी कांग्रेस के पुराने कार्यकाल पर निशाना साध रहे हैं।

लिपस्टिक-पाउडर की चर्चा

हिसार के सांसद जेपी पहले से ही अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं, लेकिन इस बार वह लिपस्टिक लाली लगाने के मामले को लेकर चर्चा में हैं। जेपी ने अपने बेटे विकास सहारण को विधानसभा चुनाव जीतने में सक्षम बनाया है। लेकिन जेपी के भाषणों में विकास नहीं है और वह सिर्फ अपने विरोधियों पर हमला बोलता है। इसी तरह, निर्दलीय अनिता ढुल, जो कांग्रेस से बागी हैं, जेपी की मानसिकता पर सवाल उठा रही हैं। श्वेता ढुल ने जेपी को दाढ़ी कटवाने का बयान देकर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

स्थानीय, जाति और गोत्र संबंधी प्रश्न

विकास की बजाय स्थानीय, जाति और गोत्र के नेता को तवज्जो देने से मतदाताओं का रुझान समझा जा सकता है। दुब्बल, हिसार के सांसद जेपी के कलायत हलके गांव में श्मशान घाट तक जमीन नहीं है और गांव तक पहुंचने वाली सड़क भी खराब है। लेकिन गांव के फकीरचंद कहते हैं कि जेपी चाहे काम करे या नहीं, हमारा नेता है। उसी के बेटे को वोट मिलेगा।

परिवारवाद भी वह मुद्दा नहीं है।उचाना हलके के चौधरी बीरेंद्र सिंह गांव में भी कई परेशानियां हैं, लेकिन गांव के बलबीर सिंह कहते हैं कि भले ही कुछ हो, वोट उन्हीं को जाएगा क्योंकि वे हमारे मूल में, किसी दूसरे को वोट देना अन्याय होगा। पड़ोसी गांव नगूरा के राम सिंह और अलेवा के पवन कुमार ने बताया कि वे निर्दलीय वीरेंद्र सिंह को वोट देंगे।

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