Lok Sabha चुनाव: NRI वोटर बढ़े, लेकिन मतदान नहीं हुआ 2014 के लोकसभा चुनाव में एनआरआई की तुलना में यूपी में सबसे तेजी से अप्रवासी मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। 2014 में देश भर में केवल 13 हजार एनआरआई वोटर थे, लेकिन सिर्फ आठ लोगों ने वोट डाला था।
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NNRIs, या अप्रवासी भारतीय, विदेश में पैसा कमाकर भारत में लाने में आगे हैं, लेकिन वोट देने में पीछे हैं। लेकिन दस वर्षों में वोटर में बदलने वाले एनआरआई की संख्या में वृद्धि हुई है। केरल इस मामले में सबसे आगे है। यूपी में एनआरआई वोटरों की संख्या कम है, लेकिन पिछले दस वर्षों में यह 244 गुना बढ़ा है।
एनआरआई की तुलना में 2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर में वोटरों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। 2014 में देश भर में केवल 13 हजार एनआरआई वोटर थे, लेकिन सिर्फ आठ लोगों ने वोट डाला था। वहीं 2019 में ये 99,844 हो गए। 25,606 लोगों ने वोट डाला। खासकर, 2014 में केरल में अप्रवासी वोटरों की संख्या लगभग 96% थी। शेष चार प्रतिशत पूरे देश में था।
यूपी में सबसे तेजी से बढ़े अप्रवासी वोटर 2014 में यूपी में केवल एक था, लेकिन 2019 में 244 हो गए। यूपी देश में रफ्तार में सबसे आगे है। पिछले चुनाव में ये संख्या 244 थी। इसमें 190 पुरुष और 54 महिलाएं शामिल हैं। कुल छह अप्रवासी भारतीय उत्तर प्रदेश में वोट डालने आए थे।
केरल में एनआरआई वोटरों की संख्या लगभग सात गुना बढ़ी, लेकिन इसमें सबसे तेज गिरावट हुई। 2014 में केरल में 12,585 एनआरआई वोटर थे, लेकिन किसी ने भी वोट नहीं डाला। पिछले चुनाव में एनआरआई मतदाताओं की संख्या लगभग सात गुना बढ़कर 87 हजार से अधिक हो गई। इनमें से २५ हजार से अधिक लोगों ने वोट भी डाला।
2014 में कितने राज्यों में एनआरआई वोटर थे? 17 राज्यों में। 12,234 पुरुष और 804 महिलाएं शामिल थीं। अलग बात यह है कि इनमें से केवल आठ लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। यह भी दिलचस्प है कि केरल में 13,039 एनआरआई वोटरों में से अकेले 12,585 थे। 454 भारत भर से थे। वहीं एनआरआई ने पिछले लोकसभा चुनाव में 25 राज्यों में मतदान किया था। कुल 99,844 भी हुआ। 87,651 लोग केरल से हैं। लेकिन एनआरआई वोटर अन्य राज्यों से 454 से सीधे 12 हजार पार कर गए।
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