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जयशंकर: जयशंकर ने आतंकवाद और विदेश नीति में बदलाव पर युवाओं से बातचीत करते हुए कहा, “आतंकी नियम नहीं मानते, तो उनके खात्मे के भी कोई नियम नहीं।” {13-04-2024}

जयशंकर: जयशंकर ने आतंकवाद और विदेश नीति में बदलाव पर युवाओं से बातचीत करते हुए कहा, "आतंकी नियम नहीं मानते, तो उनके खात्मे के भी कोई नियम नहीं।"

जयशंकर: जयशंकर ने आतंकवाद और विदेश नीति में बदलाव पर युवाओं से बातचीत करते हुए कहा, “आतंकी नियम नहीं मानते, तो उनके खात्मे के भी कोई नियम नहीं।” इस बीच, उन्होंने कहा कि आतंकवादी मानते हैं कि वे नियम नहीं मानते और सीमा पार हैं। हम भी मानते हैं कि अगर वे नियमों का पालन नहीं करते तो उन्हें खत्म करना चाहिए।

जयशंकर: जयशंकर ने आतंकवाद और विदेश नीति में बदलाव पर युवाओं से बातचीत करते हुए कहा, “आतंकी नियम नहीं मानते, तो उनके खात्मे के भी कोई नियम नहीं।”

विदेश मंत्री जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम में युवाओं से बातचीत की। इस दौरान, उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में परिवर्तन हुआ है और यही आतंकवाद से निपटने का उपाय है। उनका कहना था कि पाकिस्तान भारत का पड़ोसी है, इसके हम ही जिम्मेदार हैं।

पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया था— जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया, जिसका भारतीय सेना ने डटकर मुकाबला किया और राज्य का एकीकरण हुआ। उनका कहना था कि जब भारतीय सेना अपनी कार्रवाई कर रही थी, हम रूक गए और यूएन में चले गए। पहली नीति आतंकवाद से पूरी तरह अलग थी।

विदेश नीति में परिवर्तन

विदेश नीति में परिवर्तन हुआ है- जयशंकर ने युवा लोगों से बातचीत करते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद स्वीकार नहीं किया जाएगा। जयशंकर ने देश की विदेश नीति में बदलाव का जवाब देते हुए कहा कि मेरा जवाब है जयशंकर ने देश की विदेश नीति में बदलाव पर पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि मेरा जवाब है कि पचास फीसदी निरंतता है और पचास फीसदी बदलाव है। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के बाद कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा कि हमें जवाब देना चाहिए था।

आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कोई नियम नहीं

आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कोई नियम नहीं है— जयशंकर ने आतंकवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि आतंकवादियों को यह नहीं लगना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, इसलिए कोई उन्हें छू नहीं सकता। मैं आपको बता दूं कि आतंकवादी कानून नहीं मानते, इसलिए हमारा मानना है कि कानून आतंकवादियों को जवाब देने के लिए भी नहीं हो सकता।

विदेश मंत्री ने कहा कि राजनयिक के रूप में भगवान हनुमान की तुलना राजनयिक के रूप में भगवान हनुमान से कैसे की जा सकती है? उन्होंने कहा कि एक उत्तम राजनयिक पहले अपने स्वामी और देश का पक्ष लेता है। इस दौरान मौसम अनुकूल या नकारात्मक होता है। कूटनीति में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा दबाव के दौरान दूसरे देशों में अपना पक्ष कैसे रखना है। रामायण में भगवान बजरंगबलि ने लंका में भगवान राम का पक्ष मजबूती से रखा।

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