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Bade Miyan Chote Miyan की समीक्षा: अक्षय और टाइगर, अली अब्बास के “खिलाड़ी” अवतार में, एक्शन का विश्वस्तर लाया..। {11-04-2024}

 

Bade Miyan Chote Miyan की समीक्षा: अक्षय और टाइगर, अली अब्बास के "खिलाड़ी" अवतार में, एक्शन का विश्वस्तर लाया..।

Movie Review: बड़े मियां छोटे मियां में अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉफ, पृथ्वीराज सुकुमारन, मानुषी छिल्लर, अलाया एफ, सोनाक्षी सिन्हा और रोनित बोस रॉय हैं, लेखक अली अब्बास जफर, आदित्य बसु और सूरज गियानानी हैं, निर्देशक अली अब्बास जफर, निर्माता वाशू भगनानी, जैकी भगनानी, दीपिका देशमुख, हिमांशु किशन

Bade Miyan Chote Miyan की समीक्षा: अक्षय और टाइगर, अली अब्बास के “खिलाड़ी” अवतार में, एक्शन का विश्वस्तर लाया..।

11 अप्रैल 2024 की समीक्षा
rateing :3/5

हिंदी सिनेमा में अली अब्बास जफर ने पांच साल बाद बड़े परदे पर फिर से काम किया है, उनकी तीन सुपरहिट फिल्में सुल्तान, टाइगर जिंदा है और सुल्तान। उस समय, उनकी दो और फिल्में, जोगी और ब्लडी डैडी, सीधे ओटीटी पर रिलीज हुईं। अली अब्बास जफर की नवीनतम फिल्म, “बड़े मियां छोटे मियां”, 1998 में रिलीज़ हुई फिल्म से कुछ मेल खाता है, सिर्फ अमिताभ बच्चन और गोविंदा की अभिनय वाली इस फिल्म से एक मिशन का नाम लिया गया है। ईद का मौका है। बड़े का नाम फिरोज है, जिसे फ्रेडी भी कहा जाता है। रॉकी, छोटा राकेश है। कबीर, उनका तीसरा दोस्त भी है। हिंदी सिनेमा में लंबे समय से तीन हीरो वाली फिल्मों का चलन रहा है। “त्रिदेव” और “विश्वात्मा” जैसी फिल्मों को अली अब्बास जफर ने इस फिल्म का संदर्भ बिंदु बताया है। ‘बड़े मियां छोटे मियां’ की बारी है।

ईद पर रिलीज़ होने वाली फिल्मों का मूल उद्देश्य परंपरागत रूप से दर्शकों को भरपूर मनोरंजन प्रदान करना है। यहां, अली अब्बास जफर भी अपनी लेखन टीम के साथ ऐसा ही करते हैं। दो बेवकूफ सैनिकों की कहानी है। दोनों की उम्र काफी कम है, लेकिन उनकी रैंक एक है। Storyline शुरू होता है जहां एक हथियारों के सौदागर ने सेना का एक गोपनीय “पैकेज” लूट लिया है। पता चलता है कि फ्रेडी और रॉकी इस काम के लिए सबसे अनुकूल हैं।

दोनों ने आठ साल पहले उस आतंकवादी को मार डाला, जिसे पूरी दुनिया ने मर चुका था।हिंदी सिनेमा का अंतरराष्ट्रीय एक्शन शोरील अली अब्बास जफर की फिल्म “बड़े मियां छोटे मियां” इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि इसमें उन्होंने अपने दृष्टिकोण, तकनीक और कल्पनालोक को हिंदी सिनेमा में निवेश करने वालों के लिए थाली में परोस कर पेश किया है। वाशू भगनानी की फिल्मों में काम करने वाले निर्देशकों को कम अवसर मिलता है, लेकिन ये फिल्म अली अब्बास जफर को हिंदी सिनेमा में स्पेशल इफेक्ट्स वाले एक्शन स्टार के रूप में प्रस्तुत करती है।

फिल्म की शुरुआत एक बेहतरीन एक्शन सीन से होती है, जो टॉम क्रूज की अन्य एक्शन फिल्मों से कम नहीं है।पूरी फिल्म एक्शन से भरपूर है, जो अली ने किया है। इतने बड़े बजट की फिल्म बनाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, खासकर अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ जैसे अभिनेताओं को लेकर, जो पिछली कोई आधा दर्जन फिल्मों में फ्लॉप रहे हैं। लेकिन अली ने इन दोनों सितारों को जीवन दिया है।

हिंदी सिनेमा में फिर से आए “खिलाड़ी” अक्षय कुमार की छवि एक्शन हीरो की रही है। वह इस इमेज को तोड़ने के लिए बहुत कुछ कर चुके हैं, लेकिन वास्तव में वह अपने आयुवर्ग में अब भी सर्वश्रेष्ठ एक्शन हीरो हैं। युद्ध और गोलीबारी वाले दृश्यों के बीच अक्षय का एकदम से पंचलाइन मारना उनकी शख्सियत पर खूब फबता है।

सुरंग के नीचे होने वाली लड़ाई के दौरान, अक्षय को सिर्फ इतना कहना चाहिए कि “हां देख तेरी एक्टिंग को देख कितने लोग मर गए हैं।” इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ ने अपनी पहचान खोली है। उनके हाव-भाव भी अलग-अलग दिखते हैं। लेकिन अभी भी उनके एक्शन दृश्यों में दोहराव दिखता है। टाइगर और अक्षय की जोड़ी ने पूरी फिल्म को अपने वश में रखने का पूरा प्रयास किया है। उन्हें सही मददगार मिलने पर उनका आनंद अलग होता।

फिल्म में मानुषी पर इक्कीस रहीं अलाया पृथ्वीराज सुकुमारन के किरदार के सारे रहस्य इंटरवल के बाद खुलते हैं, और इस किरदार का बहुत अधिक बोलना फिल्म की गति को बाधित करता है। फिल्म के हिंदी संस्करण की कमजोर कड़ियों में उनका किरदार भी है, भले ही इसकी मौजूदगी से दक्षिण भारत में मदद मिलती हो। महिला अभिनेत्रियों में अलाया एफ का किरदार मानुषी छिल्लर पर भारी पड़ा है, और अलाया ने इसे मानुषी से बेहतर तरीके से निभाया है। मानुषी को देखकर लगता है कि वह अब भी कैमरे के सामने खूबसूरत दिखने के अलावा कुछ भी नहीं करने के लिए तैयार हैं। फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा ने एक खास अपीयरेंस दिया है। उनका रुआब फौज की वर्दी में अच्छा है, लेकिन भावनात्मक दृश्यों में उनकी अदाकारी की सीमाएं उनका इम्तिहान लेती रहती हैं।

‘बड़े मियां छोटे मियां’ एक्शन, एक्शन और एक्शन फिल्म है, जिसका सबसे प्रशंसनीय पक्ष एक्शन है। साथ ही, अली अब्बास जफर ने इन दृश्यों में अपनी मास्टरी इस लिहाज से साबित की है कि वह इन दृश्यों में विशिष्ट इफेक्ट्स का प्रयोग करते तो हैं लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं करते। फिल्म के संवाद ताजगीपूर्ण हैं। साथ ही, अक्षय कुमार ने बिल्कुल सही तरीके से टाइगर श्रॉफ को लक्षित सारे व्यंग्य वाक्यों, या पंच लाइनों को समझाया है।

फिल्म का संपादन बहुत सख्त है। स्टीवन बर्नार्ड ने शुरू से अंत तक फिल्म की गति को बनाए रखने पर पूरा जोर लगाया है। साथ ही, इसकी सिनेमैटोग्राफी में मार्सिन लस्काविएक ने कुछ बेहतरीन विशेषताएं बनाई हैं। वह दिन में सिनेमैटोग्राफी पढ़ाते हैं। रात में उनका कैमरा बहुत अच्छा काम नहीं कर सका।फिल्म के गाने और पार्श्वसंगीत एकरस नहीं हैं; पृथ्वीराज सुकुमारन के किरदार का मास्क उतरने के बाद उनका प्रभाव कम हो जाना फिल्म की एक बड़ी कमजोरी है. फिल्म का संगीत और गानों का फिल्मांकन भी फिल्म की दूसरी कमजोरी है।

फिल्म के गाने जूलियस पैकियम के बैकग्राउंड म्यूजिक की गुणवत्ता के अनुरूप नहीं हैं। इस फिल्म में विशाल मिश्रा को बड़ी भूमिका मिली, लेकिन वह पूरी तरह असफल रहे। यह भी बताता है कि जैकी भगनानी की जस्ट म्यूजिक कंपनी का वास्तविक मालिक कहां है।ईद पर फिल्म “बड़े मियां छोटे मियां” सिर्फ मनोरंजन के लिए देखने लायक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये फिल्म पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है। पूरी फिल्म में अली अब्बास जफर ने एक भी गाली नहीं दी है और नायिकाओं के शरीर की नुमाइश नहीं की है। आज की दुनिया में ये भी बहुत बड़ी बात है!

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