हरियाणा राज्य का मानवाधिकार आयोग स्थगित: छह हजार से अधिक शिकायतें हैं, न तो चेयरमैन और न ही दोनों सदस्य लंबित हरियाणा के मानवाधिकार आयोग ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि राज्य सरकार ने अभी तक माननीय अध्यक्ष या माननीय सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है, इसलिए निर्धारित मामलों में सुनवाई की तारीखें निर्धारित की जाएंगी।
Table of Contents
Toggleहरियाणा राज्य का मानवाधिकार आयोग स्थगित: छह हजार से अधिक शिकायतें हैं
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पिछले वर्ष जून और फिर सितंबर में नियुक्ति के लिए भी विज्ञापन निकाला था। नियमों के अनुसार, सदस्यों और चेयरमैन की नियुक्तियां उनके कार्यकाल समाप्त होने के तीन महीने पहले से ही प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं।
हरियाणा के मानवाधिकार आयोग में पिछले साल सितंबर से कोई केस नहीं सुनाया गया है। पुराने मामले अभी लटके हैं। नए केस भी लंबे होते जा रहे हैं।दरअसल, आयोग के पास कोई सदस्य या चेयरमैन नहीं हैं। मानवाधिकार आयोग में पिछले वर्ष सितंबर से कोई केस नहीं सुनाया गया है। नियुक्ति का विज्ञापन देने के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक सदस्य और चेयरमैन नहीं चुने हैं। विज्ञापन के बाद भी आवेदन आए हैं।
सरकारी अधिकारियों की एक कमेटी ने भी आवेदनों की जांच की और फाइलों को आगे बढ़ाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वर्तमान में आयोग के पास लगभग दो हजार शिकायतें लंबित हैं। वहीं, छह महीने में चार हजार नई शिकायतें भी आई हैं।इन केसों की भी फाइल पूरी नहीं हुई।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग में एक अध्यक्ष और दो सदस्य हैं। गत अप्रैल में आयोग के चेयरमैन जस्टिस एके मित्तल का कार्यकाल समाप्त हो गया था। बाद में उनका चार्ज चार्ज आयोग के ही सदस्य दीप भाटिया को दिया गया। वह ही कार्यवाहक चेयरमैन के पद पर आयोग का संचालन कर रहे थे। उस समय आयोग के दूसरे सदस्य, केसी पुरी, का कार्यकाल समाप्त हो गया था और वह चला गया था।
दीप भाटिया ही आयोग में रहे और सितंबर तक कई केसों को हल किया। दीप भाटिया का भी कार्यकाल इस दौरान समाप्त हो गया। इसके बाद से आयोग का कोई सदस्य नहीं चुना गया है।
नियुक्ति में कोई आचार संहिता नहीं
हाईकोर्ट के एडवोकेट और चुनाव कानून के जानकार हेमंत कुमार ने कहा कि आयोग के सदस्यों और चेयरमैन की नियुक्ति सरकार की जिम्मेदारी है। लोगों को कष्ट नहीं उठाना पड़े। उन्हें नियुक्त करने में आचार संहिता का कोई विरोध नहीं है। पूर्व में अदालतों ने निर्णय दिया है कि आचार संहिता की वजह से प्रशासनिक कामकाज ढाई महीने तक ठप नहीं रह सकता। चुनाव आयोग की अनुमति मिलने पर नियुक्तियां की जा सकती हैं। केरल सरकार ने आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग से अनुमोदन लेकर अध्यक्ष का चुनाव किया है।
करता है नौकरी
आयोग का चेयरमैन और सदस्य चुनता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर, गृहमंत्री और नेता प्रतिपक्ष पैनल में हैं। सीएम ही गृहमंत्री का पद है। इसलिए पैनल में सिर्फ तीन लोग होंगे। आयोग का चेयरमैन हाईकोर्ट के जज या रिटायर्ड चीफ जस्टिस हो सकता है। सदस्यों में से एक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या जिला सेशन के रिटायर्ड जज (सात से सात वर्ष का अनुभव) हो सकता है, जबकि दूसरे सदस्य मानवाधिकार का व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव रख सकता है।
जनहित इस सरकार का लक्ष्य नहीं है। सरकार ने जनहित में कोई निर्णय नहीं लिया है। इतने महीने बीतने के बावजूद सरकार ने सदस्यों और चेयरमैन को नियुक्त नहीं किया है। कि इतने महीने बीतने के बावजूद आयोग में सदस्यों और चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हुई है – प्रतिपक्षी भूपेंद्र सिंह हुड्डा
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल दुःख को जानते हैं। उन्हें अपनी हर समस्या का समाधान करना पहली प्राथमिकता है। मानवाधिकार आयोग में नियुक्तियों पर सरकार गंभीर है। आचार संहिता के कारण नियुक्तियों में समय लग सकता है। – हरियाणा के सीएम सुदेश कटारिया, वरिष्ठ मीडिया कोऑर्डिनेटर
यह भी पढ़े:-
नक्सली साजिश नाकाम हो गई, विस्फोटकों से भरी गुफा खोजी गई. CRPF ने सात अप्रैल को इंटेलिजेंस रिपोर्ट पर सर्च अभियान शुरू किया था। एफ 208 कोबरा, ई 212 और डी 241 कंपनियां, डुब्बा मरका और बीरम के जंगलों की तरफ सीआरपीएफ कैंप से रवाना हुईं। अभियान काफी कठिन था। सुरक्षा बलों को भी जानकारी मिली कि नक्सली घने जंगल में घात लगाकर हमला कर सकते हैं। पुरा पढ़े