नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त: इस काले कारनामे में देश भर के कई अस्पताल भी शामिल हैं गिरोह के तार आरोपियों ने बताया कि यह 2014 से सक्रिय है और अब तक सैकड़ों बच्चों को बेच चुका है। गिरोह का नेटवर्क देश भर में फैला हुआ है। इस काम में कई अस्पताल भी शामिल हैं।
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पुलिस ने प्रारंभिक पूछताछ में नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। आरोपियों ने बताया कि गिरोह 2014 से काम कर रहा है और अब तक सैकड़ों बच्चों को बेच चुका है। गिरोह का नेटवर्क देश भर में फैला हुआ है। इस काम को कई अस्पताल भी करते हैं। आरोपियों के मोबाइल फोन में 20 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप पाए गए हैं। इनमें बच्चा खरीदने और बेचने का मामला चैट पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पड़ताल में पता चला कि गांव की दाइयां, आया और झोलाछाप गिरोह अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क में रहते थे।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि चार-पांच लड़कियाें वाले माता-पिता, गरीब माता-पिता और बिन ब्याही मां इनके निशाने पर थे। लोकल नेटवर्क की मदद से गिरोह ने उन माता-पिता को बहलाकर बच्चा खरीदा। बाद में जरूरत के हिसाब से उन्हें महंगे दामों पर बेच दिया गया।
यदि लड़का साफ या गोरा रंग का होता तो उसकी कीमत अच्छी होती। एक-डेढ़ लाख से २०-२५ लाख रुपये की कीमतें वसूल ली जाती थीं। वह चार-पांच बच्चों की मां को दोबारा गर्भवती होने पर देखता था।
जैसे ही वह बच्चे को जन्म देती थी, उसे बहलाकर ले लिया गया। पुलिस आरोपियों के बैंक खातों और मोबाइल फोनों की जांच कर रही है। यह जानने की कोशिश की जा रही है कि गिरोह ने अब तक कितने बच्चों को बेच दिया है।
गिरोह के प्रमुख हसमीत ने बताया कि बच्चा लाकर मैरी और नैना को सौंप दिया गया था।मरियम और नैना ने बच्चे को अपने घर पर रखकर उसका ख्याल रखा जब तक कि कोई और सौदा नहीं हो गया। मामले में पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है, जिनकी तलाश में छापे जारी हैं।
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