MP समाचार: क्या सास-बहू की यह जोड़ी इतनी चर्चा में है? नकुल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के बेटे और वर्तमान सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी नकुल नाथ को जिताने के लिए उनकी पत्नी प्रिया नाथ (नकुल नाथ की पत्नी) और उनकी पत्नी अलका नाथ (नकुल नाथ की मां) ने घर-घर जाकर परिवार की कसम खाई है। सास-बहू गांव से लेकर पूरे शहर में नकुलनाथ के लिए वोट मांगते दिखते हैं..।
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मध्य प्रदेश में पहले चरण का नामांकन पूरा हो गया है। इसके साथ ही क्षेत्र में विभिन्न रंग दिखाई देने लगे हैं। सभी दल प्रचार पर जोर दे रहे हैं। ऐसा ही एमपी की मशहूर छिंदवाड़ा सीट पर भी है ऐसा ही कुछ एमपी की प्रसिद्ध छिंदवाड़ा सीट पर भी देखने को मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का पूरा परिवार अपने गढ़ को बचाने के लिए मैदान में उतर गया है।
नकुल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे और वर्तमान सांसद, कांग्रेस प्रत्याशी नकुल नाथ को जिताने के लिए उनकी पत्नी प्रिया नाथ (नकुल नाथ की पत्नी) और उनकी मां अलका नाथ (नकुल नाथ की मां) ने भी मोर्चा संभाल लिया है। सास-बहू गांव से लेकर पूरे शहर में नकुलनाथ के लिए वोट मांगते दिख रहे हैं। दोनों महिलाएं हर घर में घुसती हैं। ये दोनों नकुलनाथ के लिए प्रचार कर रहे हैं और 44 साल से नाथ परिवार को भी बता रहे हैं।ये दोनों नकुलनाथ के लिए प्रचार कर रहे हैं और 44 साल से नाथ परिवार के साथ उनका संबंध भी लोगों को स्मरण कर रहे हैं। ये दोनों भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए लोगों के घर पहुंच रहे हैं।
अलका नाथ और प्रिया नाथ भी वरिष्ठ कर्मचारियों के घर जाकर उनकी चिंता दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। इस आदिवासी बहुल सीट पर सास-बहू की यह जोड़ी बहुत प्यारी है। सूत्रों ने बताया कि अलका ने पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना को भी भाजपा में शामिल होने से रोका है। दरअसल, कमल नाथ के विश्वासपात्र पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना को लेकर शक थावह भाजपा में शामिल हो सकते हैं, यह सिर्फ एक कयास था।
सक्सेना के एक बेटे अजय को भाजपा में शामिल करने के बाद, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद सिंह पटेल सहित अन्य वरिष्ठ नेता भी उनके घर पहुंचे और उनसे मुलाकात की। बात नहीं बनी तो इसे एक शिष्टाचार भेंट की सूचना दी गई। साथ ही, दीपक सक्सेना ने कहा कि वह कमल नाथ के साथ हैं और भाजपा में नहीं गए हैं। सक्सेना, हालांकि, कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे चुका है। अलका नाथ को याद किया जाता है।
कमलनाथ के परिवार ने 71 साल से छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर पिछले 44 साल से नियंत्रण रखा है। यह सीट पिछले 71 वर्ष से कांग्रेस के खाते में रही है, अगर बीते वर्षों में एक उपचुनाव को छोड़ दें। यही कारण है कि इसे कमल नाथ का गढ़ कहा जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यहां आए, गिरिराज सिंह को संसदीय सीट का प्रभारी बनाया गया और कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल किया गया।
भाजपा भी अपनी पूरी शक्ति के साथ चुनाव में है। पार्टी चाहती है कि वह इस सीट पर अपनी जीत का परचम फहराए।सत्तारूढ़ भाजपा ने मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से एक छिंदवाड़ा को छीनने के लिए पूरी कोशिश की है।19 अप्रैल को प्रदेश की सीधी, शहडोल, मंडला, जबलपुर और बालाघाट सीटों पर पहले चरण के लोकसभा चुनाव भी होंगे।
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