New Delhi: दिल्ली जल बोर्ड घोटाला, जिसमें ED ने केजरीवाल को समन भेजा, क्या है? दिल्ली में शराब घोटाले के बाद अब जल बोर्ड घोटाला चर्चा में है. जानें इससे कितना अलग है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED ने जल बोर्ड घोटाला मामले में पहला समन दिया है। जबकि शराब घोटाला मामले में भी नौ बार पूछताछ के लिए समन जारी किए गए हैं। दोनों पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है।
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दिल्ली में लगातार घोटाले हो रहे हैं। दिल्ली जल बोर्ड का घोटाला अब शराब घोटाले के बाद चर्चा में है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इन दोनों घोटालों का शिकार हो चुका है। प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाले में नौवां और जल बोर्ड घोटाले में पहला समन जारी किया। लेकिन अरविंद केजरीवाल दोनों समय पर ED कार्यालय में नहीं आए। दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के कई मंत्री शराब घोटाला मामले में जेल में हैं। वहीं, जल बोर्ड में टेंडर बांटने में गबन का आरोप लगा है। ED ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
दिल्ली जल बोर्ड घोटाला
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने बढ़ी हुई दरों पर सौदा किया था। ताकि ठेकेदारों से रिश्वत प्राप्त की जा सके ठेके का मूल्य 38 करोड़ रुपये था,ठेके का मूल्य 38 करोड़ रुपये था, लेकिन सिर्फ 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए, शेष गबन कर दिया गया। चुनावी कोष और रिश्वत के लिए ये फर्जी खर्च हुए। NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा ने कथित तौर पर 38 करोड़ रुपये का ठेका दिया था।
इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फ्लो मीटर्स की आपूर्ति, स्थापना और परीक्षण करने का ठेका दिया गया था। इस मामले में एनबीसीसी के अधिकारियों और बोर्ड ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को रिश्वत देने का आरोप लगाया है। 31 जनवरी को ED ने जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया था।
ईडी ने मामले से जुड़ी मनी ट्रेल की जांच करते हुए आरोप लगाया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को अनुबंध देने के बाद अरोड़ा को नकद और बैंक खाते में रिश्वत मिली थी। अलग-अलग पार्टियों को यह धन दिया गया था। वहीं, आम आदमी पार्टी को चुनावी धन भी दिया गया। बीते दिनों, आम आदमी पार्टी के कोषाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार सहित अन्य लोगों ने यहां छापेमारी की थी।
कोरोना काल के दौरान, दिल्ली सरकार ने दिल्ली आबकारी नीति २०२१–२२१ को लागू किया था. जानें क्या है मामला। यह शराब नीति लागू करने में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं, जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई को रिपोर्ट दी।इसके साथ ही २०२१-२२ के दिल्ली आबकारी नीति पर सवाल उठने लगे। हालाँकि, नई शराब नीति को बनाने और लागू करने में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया।
अभी तक कितनी लोगों को गिरफ्तार किया गया है?
दिल्ली शराब नीति अनियमितता मामले की जांच कर रहे सीबीआई और ED ने अब तक 15 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, विजय नायर, समीर महेंद्रू, अरुण रामचंद्रन, राजेश जोशी, गोरन्तला बुचिबाबू, अमित अरोड़ा, बेनॉय बाबू (फ्रांसीसी शराब कंपनी पर्नोड रिकार्ड के महाप्रबंधक), पी सरथ चंद्र रेड्डी (अरबिंदो फार्मा का पूर्णकालिक निदेशक और प्रमो अब आप मुख्यमंत्री और संयोजक अरविंद केजरीवाल को इस मामले में ईडी पूछताछ के लिए बुला रहे हैं। ED ने अब तक नौ समन जारी किए हैं। मुख्यमंत्री अब जमानत पर नहीं हैं क्योंकि ED ने कोर्ट में शिकायत दी।
घोटाले की जांच शुरू कैसे हुई?
उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की जब शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं। इसके साथ ही 2021-22 के दिल्ली आबकारी नीति पर प्रश्नचिन्ह उठ गए। हालाँकि, बनाने और लागू करने में अनियमितताओं के आरोपों के बीच नई शराब नीति को रद्द कर दिया गया।अगस्त 2022 में, सीबीआई ने 15 आरोपियों पर नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोपों में एफआईआर दर्ज की।
बाद में सीबीआई ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। दिल्ली सरकार की हाल ही में लागू की गई शराब नीति में कथित घोटाले की दो अलग-अलग जांच ईडी और सीबीआई ने कर रही हैं। ED नीति बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई की जांच प्रणाली बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर फोकस है।
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