Lok Sabha चुनाव: क्या प्रियंका रायबरेली के चुनाव में भाग नहीं लेंगी? यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने अब तक दो बार विभिन्न राज्यों में लोकसभा प्रत्याशियों की सूची जारी की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीच उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीटों को लेकर अटकलें अभी भी जारी हैं। कांग्रेस ने अभी तक सीटों को घोषित नहीं किया है, जो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में चर्चा का विषय है।
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कांग्रेस प्रत्याशियों की दो सूचियां प्रकाशित हो चुकी हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश और असम के कई प्रत्याशी भी घोषित हो चुके हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की 17 सीटों पर अब तक कोई प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है। साथ ही, उत्तर प्रदेश के सियासी हलकों में चर्चा है कि राहुल गांधी इस बार अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। यही कारण है कि प्रियंका गांधी की रायबरेली चुनाव जीत की दावेदारी बहुत चर्चा में है। हालाँकि, प्रदेश नेतृत्व ने प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने की सिफारिश की है, लेकिन कांग्रेस अभी भी फोन पर प्रियंका गांधी को सुरक्षित सीटों का सर्वे कर रहा है।
अब तक, कांग्रेस पार्टी ने दो बार विभिन्न राज्यों में चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों की सूची जारी की है। लेकिन कांग्रेस के दो प्रमुख नेता, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीटों पर संघर्ष कर रहे हैंकांग्रेस ने अभी तक सीटों को घोषित नहीं किया है, जो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में चर्चा का विषय है। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी की सीट को लेकर पार्टी अभी भी आश्वस्त नहीं है कि वे लड़ाई में भाग लेंगे या नहीं। यही कारण है कि रायबरेली में प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने और अमेठी में राहुल गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने पर संदेह है।
कांग्रेस पार्टी ने अभी तक उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी है। कांग्रेस ने अभी तक सीटों को घोषित नहीं किया है, जो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में चर्चा का विषय है। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी की सीट को लेकर पार्टी अभी भी आश्वस्त नहीं है कि वे लड़ाई में भाग लेंगे या नहीं।
यही कारण है कि रायबरेली में प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने और अमेठी में राहुल गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने पर संदेह है। कांग्रेस पार्टी ने अभी तक उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी है। लेकिन उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रदेश कांग्रेस इलेक्शन कमेटी ने राहुल और प्रियंका को चुनाव लड़ने का प्रस्ताव भेजा है।
कांग्रेस पार्टी अभी भी रायबरेली में पहली बार चुनाव लड़ने वाली प्रियंका गांधी को सुरक्षित सीट मिलेगी या नहीं, सूत्रों ने बताया। रायबरेली में फोन पर सीट की मजबूती का सर्वे भी चल रहा है। सर्वे में प्रियंका गांधी की मजबूत दावेदारी को लेकर सीधा सवाल पूछा जा रहा है, ऐसा बताया जा रहा है। पार्टी ने पहले भी रायबरेली में सर्वे कराया था। कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रायबरेली की स्थानीय जनता ने गांधी परिवार से किसी भी प्रत्याशी को चुने जाने पर जीत सुनिश्चित होगी। लेकिन सियासी हलकों में कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी अभी भी चिंतित है कि क्या प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारा जाए।
रायबरेली और अमेठी दोनों गांधी परिवार के लिए सुरक्षित हैं, जैसा कि वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिज्ञ बृजेंद्र शुक्ला ने कहा है, पिछले चुनाव में इसकी पुष्टि हुई है। कांग्रेस ने रायबरेली सीट जीती क्योंकि सोनिया गांधी खुद प्रत्याशी थीं। उनका कहना है कि गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी, पिछले कुछ समय से अमेठी से दूर रहे हैं। वह शायद चुनाव हार गया था, इसलिए उनका ध्यान वायनाड में अपने नए लोकसभा क्षेत्र पर गया। यह संशय बना हुआ है क्योंकि राहुल गांधी इस बार अमेठी सीट पर चुनाव लड़ेंगे।
जब बात प्रियंका गांधी के रायबरेली में चुनाव लड़ने की है, तो यह सीट सिर्फ तब सुरक्षित होगी जब इस पर गांधी परिवार का कोई सदस्य उतरेगा। शुक्ला का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक कोई सीट घोषित नहीं हुई है यही कारण है कि प्रियंका गांधी रायबरेली से प्रत्याशी नहीं होंगी, यह सिर्फ अनुमान है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर गांधी परिवार का कोई प्रत्याशी रायबरेली में नहीं उतरता, तो कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में बड़ा राजनीतिक संकट हो सकता है।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रत्याशियों की सूची भी जल्द ही जारी की जाएगी। जिन सीटों पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है, उन पर कुछ बहस होनी चाहिए। अब तक उत्तर प्रदेश की लंबे समय से प्रतीक्षित सूची जारी नहीं हुई है। अगले कुछ दिनों में प्रत्याशियों की लिस्ट की घोषणा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि जिन राज्यों में उनकी पार्टी गठबंधन के साथ राजनीति में आ रही है, वहां कई राजनीतिक अवसर हैंवहां कई तरह की राजनीतिक संभावनाओं और आपसी समझौते को देखा जा रहा है।
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