(RL)D: बागपत-बिजनौर सीट पर रालोद की राह आसान! ये जातियां दोनों सीटों पर निर्णायक हैं; अन्य जातियां भी देती हैं एकसाथ
राष्ट्रीय लोकदल ने बागपत-बिजनौर में जाट-गुर्जर समीकरण
राष्ट्रीय लोकदल ने बागपत-बिजनौर में जाट-गुर्जर समीकरण बनाया है। ये जातियां दोनों पदों पर निर्णायक हैं। अन्य बिरादरी भी हैं।रालोद ने जाट-गुर्जर के जातीय समीकरण को तोड़ने के लिए बागपत से विधायक डॉ. राजकुमार सांगवान और बिजनौर से विधायक चंदन चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है। जाटों सहित दोनों सीटों पर काफी गुर्जर मतदाता हैं, और अब दूसरे मतदाताओं का ध्यान दोनों जगह रहेगा।भाजपा से गठबंधन करने के कारण रालोद को दोनों सीटों पर बहुत आसानी होती दिखती है।भाजपा से गठबंधन करने के बाद रालोद ने बागपत और बिजनौर लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं।
इनमें बागपत, बड़ौत, छपरौली और मेरठ की सिवालखास और गाजियाबाद की मोदीनगर विधानसभा सीटें शामिल हैं। तीनों में से छपरौली व सिवालखास में रालोद के विधायक हैं, जबकि बाकी तीनों में भाजपा के विधायक हैं।
बागपत लोकसभा सीट पर मुस्लिमों की संख्या सबसे अधिक है, जाटों की संख्या दूसरी है और सवा लाख से अधिक गुर्जर वोटर हैं। करीब डेढ़ लाख ब्राह्मण इस सीट पर बैठते हैं। डॉ. राजकुमार सांगवान को बागपत से बाहर निकालने से जाटों और गुर्जर मतदाताओं का पूरा साथ मिलेगा।डॉ. राजकुमार सांगवान को बागपत से चुनाव में उतारने से जाटों और गुर्जर मतदाताओं का पूरा साथ मिलेगा।
बिजनौर से गुर्जर जाति के चंदन चौहान को टिकट देकर गुर्जर मतदाताओं को प्रभावित करने का भी प्रयास किया गया है। भाजपा से गठबंधन के कारण ब्राह्मणों का भी साथ मिलने की उम्मीद है। डॉ. राजकुमार सांगवान की बिरादरी में इसका भी लाभ हो सकता है क्योंकि यह उनके पास है।
रालोद को भी बिजनौर सीट पर बन रहे समीकरण से बड़ी उम्मीद है, क्योंकि बिजनौर लोकसभा में बिजनौर व चांदपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर व पुरकाजी, और मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट हैं। चांदपुर में सपा की सरकार है,इसलिए बिजनौर और हस्तिनापुर में भाजपा के विधायक हैं, जबकि मीरापुर और पुरकाजी में रालोद के विधायक हैं। यही कारण है कि रालोद को विधानसभा सीटों पर भी सकारात्मक समीकरण मिल रहे हैं।
रालोद को गुर्जर और जाटों के अलावा अन्य जातियों से भी वोट मिलने की उम्मीद है। गुर्जर जाति के विधायक चंदन चौहान ने बागपत से जाटों को टिकट देकर बराबरी का संदेश दिया है।
इसलिए जाट मतदाता भी रालोद के पक्ष में आने की उम्मीद करते हैं, और गठबंधन के कारण भाजपा का मूल मतदाता भी उसे मिल सकता है। रालोद ने इस तरह बड़े समीकरण के साथ अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
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