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UN: ‘रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्यों नाकाम रही? भारत ने बदलाव की मांग की {27-05-2024}

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा :संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने प्रश्न उठाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में क्यों असफल रही? भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पुरानी प्रणाली को बदलने का अनुरोध किया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में क्यों असफल रही

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में क्यों असफल रही

भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान प्रणाली पर सवाल उठाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने प्रश्न उठाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में क्यों असफल रही? भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पुरानी प्रणाली को बदलने का अनुरोध किया। । रुचिरा कंबोज ने इस प्रश्न को यूएन जनरल असेंबली प्लेनरी की बैठक में उठाया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रुचिरा कंबोज ने कहा कि ‘रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए दो साल का समय बीत चुका है’, जो बेअसर साबित हुआ। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को अपने आप से पूछने की जरूरत है कि क्या इस संकट को निकट भविष्य में हल किया जा सकता है?

और अगर वह बाहर नहीं निकल सकता, तो फिर संयुक्त राष्ट्र संघ, खासकर सुरक्षा परिषद, क्यों है? अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था, ऐसे में ये मौजूदा संघर्षों को हल करने में क्यों असफल रहे?’

बीते शुक्रवार को यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली की प्लेनरी बैठक में रुचिरा कंबोज ने भाषण दिया। उस समय, भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग की। रुचिरा कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुराने ढांचे में बदलाव नहीं होंगे तो सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में रहेगी।

समाधान सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर आ सकता है

रुचिरा कंबोज ने भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात को दोहराया, जिसमें उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि ‘ये युद्ध का युग नहीं है.’कंबोज ने कहा कि ‘भारत यूक्रेन की स्थिति से चिंतित है। हम लगातार कहते हैं कि कोई समाधान इंसानी जीवन की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

हिंसा किसी के लिए अच्छी नहीं है।कंबोज ने कहा कि शांति केवल कूटनीतिक तरीके से मिल सकती है और सभी पक्षों को बातचीत करनी चाहिए। हमें ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए, जो बातचीत और समाधान के रास्ते को बाधित कर दें।

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