कैथल में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप ने कैथल-हिसार मार्ग पर बीते दिन खनौरी बॉर्डर पर पुलिस प्रशासन और किसानों के बीच हुए विवाद में मारे गए युवा किसान शुभकरण की मौत पर वीरवार को रोष जताते हुए दो घंटे का जाम लगाकर प्रदर्शन किया।
किसानों ने कैथल-हिसार रोड पर प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की
दोपहर 12 बजे से दो बजे तक तितरम मोड पर बैठकर किसानों को सड़क पर जाम लगाया। वाहन चालकों सहित अन्य लोगों को इस दौरान परेशानी हुई। भाकियू चढ़ूनी ने जाम लगाया था। किसानों ने इस बीच एक एंबुलेंस आने पर उसे निकाल दिया।
किसान आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने चंदाना मोड, तितरम मोड और प्यौदा मोड से वाहनों के रूट बदल दिए थे। जिन वाहनों को जींद, असंध, हिसार और नरवाना से कैथल आना था, उनका रूट हिसार-चंडीगढ़ हाईवे से होकर कैथल पहुंचा गया। कैथल से हिसार, नरवाना की ओर जा रहे वाहन चालकों को चंदाना गांव से निकाला गया, जबकि जींद, असंध की ओर जा रहे वाहन चालकों को प्यौदा गांव से निकाला गया।
किसानों ने कैथल-हिसार रोड पर प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. वे सरकार से अपनी कई मांगों का जल्द समाधान करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग करते हैं।नाराज़ किसानों ने कहा कि सरकार को आंदोलनरत किसानों से बातचीत करके इस समस्या का हल निकालना चाहिए। यदि सरकार जल्द ही मांगें नहीं मानती, तो हर गांव से सैकड़ों किसान और २० से अधिक ट्रैक्टर इस आंदोलन में भाग लेंगे और इसे मजबूत करेंगे।
बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच झगड़ा हुआ, जिलाध्यक्ष महावीर चहल नरड़ और युवा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना ने बताया। जिसमें पंजाब का एक युवा किसान शुभकरण की गोली लगने से मर गया। साथ ही, 40 से अधिक किसान दोनों बार्डरों पर घायल हुए हैं। चार किसानों की हालत गंभीर है और हरियाणा पुलिस ने एक दर्जन युवा किसानों के हाथ पैर तोड़कर उनके हाथों से पैर ले लिया।केंद्र सरकार का दावा है कि 22 फसलों की एसएसपी को लागत मूल्यों में 50 प्रतिशत रिटर्न की गारंटी देने के लिए बढ़ाई गई है, लेकिन किसानों को इससे लाभ क्यों नहीं मिल रहा है?
उनका आरोप था कि सरकार किसानों के हितों से लगातार खिलवाड़ कर रही है। किसानों को लगातार फसल खरीद, मुआवजे, फसल बीमा जैसे घोटाले मिल रहे हैं। हरियाणा सरकार ने राज्य को युद्धक्षेत्र और कैदखाना बना दिया है जबकि किसान दिल्ली की ओर अपना हक मांगने जा रहे हैं। उनका कहना था कि लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी शक्ति है, जो शासन कर सकती है और बुराई से निकलने का रास्ता भी दिखा सकती है।वह भी दुःख से बाहर निकलने का तरीका दिखा सकती है। 23 फरवरी को कुरुक्षेत्र में भाकियू चढूनी एक बैठक बुलाकर आगे की योजना बनाएगी।
यदि सरकार इस क्रूर कार्रवाई को नहीं रोकती और किसान नेताओं को गिरफ्तार नहीं करती, तो पूरे हरियाणा को अनिश्चितकालीन जाम करने का समय भी मिल सकता है। सरकार किसानों की मांगों को अनदेखा करना चाहती है और उन्हें संघर्ष करने पर मजबूर करना चाहती है। उनका आरोप था कि भाजपा सरकार का लक्ष्य प्रदेश में अराजकता फैलाना है और उसे बदतर बनाना है। उन्होंने कहा कि शंभू और खनौरी-पातड़ा बॉर्डर पर किसानों से बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया गया, जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जबकि वे अपनी मांगों को दिल्ली भेजना चाहते हैं। उनका कहना था कि किसानों की हर मांग उचित है।
इस सड़क जाम व धरने में कार्यकारी जिलाध्यक्ष गुरनाम सिंह फरल, युवा जिलाध्यक्ष विक्रम दुसैण, नरेंद्र मागो माजरी, मनजीत करोड़ा, केवल सिंह सिद्ध, किनदर ठेकेदार, जोगिंदर कैलरम, कुड़ा राम पबनावा, गुरुमुख फरल, भीम सिंह फरल, बिंदर सिरटा, इंद्र चहल, गुरजट चीका और मनोज नीमवाला शामिल थे।
यह अभियान दो पंजाबीय संगठनों ने शुरू किया था।
पंजाब से दो किसान संगठनों ने इस अभियान को शुरू किया है, जिसे भाकियू चढ़ूनी ग्रुप के युवा प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट विक्रम कसाना ने शुरू किया है। इन संगठनों ने न तो संयुक्त किसान मोर्चा और न ही भाकियू चढूनी ग्रुप से बातचीत की। पंजाब के इन दोनों संगठनों के प्रमुखों का कहना है कि पंजाब और हरियाणा के आम किसानों का कहना है कि पंजाब के किसानों के बिना पंजाब के किसान इस किले को जीत नहीं सकते, जबकि हरियाणा के किसानों को हरियाणा के किसान संगठनों की जरूरत नहीं है।
हरियाणा के किसान संगठनों ने इस मुद्दे पर दो बार चर्चा की है, लेकिन वे सफल नहीं हुए हैं। शुक्रवार को भी किसान संगठनों की आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। हरियाणा के किसान और संगठन इस बैठक में निर्णय लेंगे। आगे की कार्रवाई बैठक में लिया गया फैसला के अनुसार होगी।
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