Bihar में राजनीतिक संकट: सत्तारूढ़ जदयू और राजद की प्रतीक्षा के कारण हर जगह चुप्पी है. जानें बिहार की राजनीतिक खबरों में क्या अटक गया है: बिहार सरकार अपने काम में लगी हुई है। यह संदेश शुक्रवार को भी आईएएस-आईपीएस से भारी मात्रा में भेजा गया था। दूसरी ओर, राजनीतिक असमंजस स्पष्ट है। जदयू ने परिस्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं किया? राजद क्या देख रहा है?
बिहार की महागठबंधन सरकार, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं, अस्थिर हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुलकर धन्यवाद दिया और इसी दौरान परिवारवाद पर उनकी टिप्पणी से साफ होता दिखा।राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्या के सोशल मीडिया पोस्ट से कुछ और स्पष्टता मिली, हालांकि बाद में उसे हटाया गया। लेकिन 48 घंटे बाद भी वह अनिश्चित है।
सीएम नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव (बड़े भाई) और तेजस्वी यादव (भतीजे) में अंतर स्पष्ट है। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सीएम स्थिति स्पष्ट करें। इसके बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं है। क्या है? आगे पढ़ें।
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Toggleपहले, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और राज्य सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को लेकर जदयू में क्या असमंजस है?
मुख्यमंत्री सब कुछ ठीक कर रहे हैं।शुक्रवार को उनकी सहमति से पहले, सामान्य प्रशासन विभाग ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारियों को तबादला किया। फिर रात में सीएम के अधीन गृह विभाग ने उससे भी बड़े स्तर पर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री शनिवार की सुबह बक्सर जा रहे हैं। वह वहां फेज 1 और 2 के ब्रह्मेश्वर स्थान मंदिर के विकास कार्य का शिलान्यास करेगा। पटना में मीडिया अफरातफरी में है।
कोई नहीं कह रहा कि राजद अपने विधायकों को राजभवन में ले जाएगा। नई सरकार की घोषणा कोई नहीं कर रहा है। लेकिन अभी तक मौजूदा सरकार गिरने का खतरा नहीं आया है। हाल के निर्णयों को देखते हुए, जदयू नेता व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं कह रहे हैं जदयू के नेताओं को सामने-सामने बोलने से बचना चाहिए क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को नवीनतम निर्णय पर बोलने का अधिकार है। जैसे, जदयू के अंदरूनी स्रोतों से पता चलता है कि दिल्ली से फैसला अंतिम नहीं हुआ है। पक्का होने पर मुख्यमंत्री खुद सामने आकर बदलाव करने की वजह बताएंगे।
दिल्ली से डील में सात सवालों का जवाब: अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद को छोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाते हैं, तो पहले सात बातें पक्की होंगी:
1. बिहार का मुख्यमंत्री कौन बनेगा और जदयू-भाजपा की भागीदारी का रूप क्या होगा?
2। ताकि समन्वय बना रहे, सीएम और उप-मुख्यमंत्री का नाम भी पक्का होना चाहिए।
3। लोकसभा चुनाव में सीटों का वितरण किस तरह होगा?
4। भाजपा और जदयू का संबंध रामविलास पासवान (लोजपा) के साथ कैसा होगा?
5। दिल्ली में जदयू की भागीदारी केंद्र सरकार की वापसी पर कैसे होगी?
6: सीटों का वितरण कैसे होगा, चाहे विधानसभा चुनाव हों?
साथ ही, 7। भाजपा-जदयू क्या कहेंगे अगर वे सरकार बदलकर भाजपा के साथ आते हैं?
शनिवार को ब्रह्मेश्वर स्थान मंदिर के विकास कार्य फेज 1 और 2 के शिलान्यास कार्यक्रम में राजद की ओर से सरकार को लीड कर रहे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी बुलाया गया था। शुक्रवार को उन्हें राजभवन भी बुलाया गया था। शुक्रवार को वह राजभवन नहीं गए, लेकिन नीतीश कुमार के बगल में उनकी कुर्सी से पर्ची हटाकर जदयू के मंत्री अशोक चौधरी ने सीएम से बातचीत करते देखा। शनिवार को बक्सर में भी कुर्सी होगी। CM नीतीश सुबह 11 बजे बक्सर में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हेलीकॉप्टर से निकल रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश को मनाने के लिए 48 घंटे में लालू या तेजस्वी मुख्यमंत्री आवास नहीं गए, क्योंकि वे रोहिणी आचार्या के सोशल मीडिया संदेश से उखड़े थे। गुरुवार को दोपहर से रात तक राबड़ी आवास में हलचल हुई, और शुक्रवार को सभी को सीएम नीतीश की स्थिति का इंतजार करना पड़ा। शनिवार को भी ऐसा होगा। राजद के पास राजभवन ले जाने के लिए 79 विधायक, कांग्रेस के 19 विधायक, वाम के 16 विधायक और AIMIM के एक विधायक हैं। इसके बाद सात की संख्या उसे मेल नहीं खाती। इसलिए, उसे नीतीश कुमार से स्पष्ट निर्देश की प्रतीक्षा है। राजद ने इसी कारण अपनी ओर से चुप्पी साधी है। राजद के नेता सब कुछ करने को तैयार हैं।
इमरान खान ने कहा कि इन चुनावों में प्रचार करते समय उनकी पार्टी पीटीआई को कई चुनौतीओं का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव सभाओं में भाग लेने से पार्टी को रोका जा रहा है। पुरा पढ़े