OPS/NPS को फरवरी में लोकसभा में पेश होने वाले अंतरिम बजट में शामिल करके सरकार अपनी स्थिति को स्पष्ट कर सकती है। केंद्रीय सरकार, निश्चित रूप से, ओपीएस को फिर से शुरू नहीं करेगी; हालांकि, एनपीएस को अधिक आकर्षक बनाने के लिए एक प्रस्ताव हो सकता है। एनपीएस में जमा होने वाले कर्मियों का दस प्रतिशत पैसा और सरकार का उन्नीस प्रतिशत पैसा, इसमें बड़ा बदलाव हो सकता है…।
केंद्रीय सरकार जल्द ही पुरानी पेंशन पर अंतिम निर्णय लेगी। जानकारों का मानना है कि छह दिन बाद ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकारी कर्मचारी, , पुरानी पेंशन के दायरे में आ जाएगा या NPs जारी रहेगा। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के साथ संघर्ष से बचने का उपाय निकाला है, सूत्रों ने बताया है। सरकार अपनी स्थिति को एक फरवरी को लोकसभा में पेश होने वाले अंतरिम बजट में ओपीएस/एनपीएस को लेकर स्पष्ट कर सकती है।
Table of Contents
Toggleक्या होगा पुरानी पेंशन का? OPS/NPS में सरकार का फैसला आने वाला है!
केंद्रीय सरकार ने ओपीएस को फिर से शुरू नहीं करेगा, लेकिन एनपीएस को अधिक आकर्षक बनाने का प्रस्ताव हो सकता है। बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, एनपीएस में जमा होने वाले कर्मियों का 10 प्रतिशत पैसा और सरकार का 14 प्रतिशत पैसा। NPS में भी “गारंटीकृत” शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, जो पुरानी पेंशन में कर्मचारियों को विश्वास दिलाता था।NPS में कुछ ऐसा ही जोड़ा जा सकता है। डीए/डीआर दरों में बढ़ोतरी होने पर एनपीएस में उसका आंशिक लाभ, कर्मचारियों को कैसे मिलता है, पर कुछ नया देखने को मिल सकता है।
‘रिले हंगर स्ट्राइक’ के बाद भी, सरकारी कर्मचारियों ने देश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी है। अब कर्मचारी संगठनों का धैर्य दिखाई देता है। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने 8 जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ की है। इसका उद्देश्य सरकार को शिक्षित करना था। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार को चेतावनी दी कि ओपीएस की पुनर्स्थापना के लिए अब कोई प्रदर्शन नहीं होगा।
सरकार ने हमें अनिश्चित हड़ताल करने पर मजबूर किया है। 1974 की रेल हड़ताल की तरह देश में कुछ हुआ तो केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। सभी कर्मचारी संगठनों की जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी। उस बैठक में देश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि निर्धारित की जाएगी। हड़ताल की स्थिति में ट्रेनें और बसें नहीं चलेंगे। राज्य और केंद्रीय सरकारों के कार्यालयों में काम नहीं होगा।
1974 में देश में जॉर्ज फर्नांडीस की अगुआई में रेल हड़ताल हुई। उस समय कहा गया था सरकार को कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए लगभग दो सौ करोड़ रुपये खर्च होने थे, लेकिन हड़ताल को तोड़ने के लिए लगभग दो हजार करोड़ रुपये खर्च होने थे। इसके बाद रेल कर्मियों में असंतोष फैल गया। 8 मई 1974 को शुरू हुई हड़ताल 27 मई 1974 तक चली। इस दौरान रेलवे का सारा काम ठप था। हजारों लोगों को जेल में डाला गया था। बहुत से लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि हमने सरकार से कई बार कहा है कि पुरानी पेंशन को फिर से लागू करें। सरकारी कर्मचारियों को बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित और सुनिश्चित ‘पुरानी पेंशन योजना’ की पुनर्गठन से कम कुछ भी अनुचित नहीं है। समय-समय पर ज्ञापन सौंपे गए हैं। कैबिनेट सचिव के साथ बैठक में यह चर्चा हुई है।
दिल्ली में कई सरकारी कर्मचारियों की रैलियां हुई हैं। केंद्रीय और राज्य सरकारों के लाखों कर्मचारियों ने इनमें भाग लिया था। यह सब होने पर भी केंद्रीय सरकार ने कर्मचारियों की इस मांग को नहीं देखा। केंद्रीय सरकार अड़ियल व्यवहार कर रही है। कर्मचारियों को स्ट्राइक पर मजबूर कर रही है। मिश्र ने कहा कि हमने कोविड में 11 हजार गाड़ी चलाई थीं। तीन हजार कर्मचारी मारे गए।
हर साल 400 से अधिक रेलवे कर्मचारी मारे जाते हैं।क्या कोविड ने कोई मंत्री, एमपी या एमएलए को मार डाला?
धरना खत्म हो गया है, हम हड़ताल पर जाएंगे। सरकार को 1974 की रेल हड़ताल का स्मरण करना चाहिए। तब उन्हें मुंह की खानी पड़ी। आज की सरकार ने ऐसा कदम नहीं उठाया।
डस्टबीन एनपीएस है, मंजूर नहीं है
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि केंद्र सरकार एनपीएस को बदलने जा रही है। हम इस तरह की किसी भी संशोधन की मांग नहीं कर रहे हैं। कर्मचारियों को पुरानी गारंटीकृत पेंशन ही चाहिए। यदि कोई कर्मचारी नेता या संगठन सरकार के NPS में संशोधन प्रस्ताव पर सहमत होता है, तो 2004 की गलतियाँ 2024 में भी होंगी।NPS एक डस्टबीन है।
डस्टबीन में करोड़ों कर्मचारियों और सरकार का दस प्रतिशत पैसा जा रहा है। यह सही नहीं है। कर्मचारियों का आंदोलन पुरानी पेंशन बहाली तक जारी रहेगा। वित्त मंत्रालय की कमेटी की रिपोर्ट अर्थहीन है। यह रिपोर्ट उपलब्ध है या नहीं। कर्मचारियों को इससे कोई मतलब नहीं है। इसका कारण यह था कि यह कमेटी ओपीएस लागू करने के लिए नहीं बनाई गई थी, बल्कि एनपीएस में सुधार करने के लिए बनाई गई थी।
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर समझौता
AIDF के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले ‘पुरानी पेंशन’ नहीं लागू की जाती है, तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह संख्या कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर दस करोड़ से अधिक है। चुनाव में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने के लिए यह संख्या महत्वपूर्ण है। इसलिए कर्मचारी संगठन अब विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क कर रहे हैं। यदि वे कर्मचारियों की मांगों को मानते हैं, तो दस करोड़ वोटों का समर्थन उस राजनीतिक दल को मिल सकता है। रेलवे और रक्षा (सिविल) देश के दो सबसे बड़े कर्मचारी संगठन हैं, जो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सहमत हैं।
स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मचारियों में से 96 फीसदी ओपीएस लागू नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को तैयार हैं। इसके अलावा, चार लाख से अधिक सिविल रक्षा कर्मियों में से 97 फीसदी हड़ताल पर हैं। OPS जैसे कुछ प्रावधानों को केंद्र सरकार एनपीएस में ही शामिल कर सकती है। जैसे, एनपीएस में रिटायरमेंट पर मिली बेसिक सेलरी का 40से 45 प्रतिशत बतौर पेंशन देने पर विचार हो रहा है। ऐसे किसी भी प्रस्ताव को नहीं माना जाएगा। ये सिर्फ “ओपीएस” से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
यह भी पढ़े:-