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बिलकिस केस: सुप्रीम कोर्ट में 11 दोषियों में से 3 ने मांगा आत्मसमर्पण के लिए अधिक समय {18-01-2024}

सुप्रीम कोर्ट: बिलकिस केस में 11 दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर आत्मसमर्पण के लिए अधिक समय की मांग की।
बिलकिस बानो मामले में ११ दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए अधिक समय की मांग की है।

आत्मसमर्पण के लिए अधिक समय

गुरुवार को, बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के ग्यारह दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आत्मसमर्पण करने के लिए अधिक समय की मांग की है। गुजरात सरकार के दोषियों को रिहा करने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने बीती 8 जनवरी को पलट दिया और उनको जेल भेजने का आदेश दिया। दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। अब तीन दोषियों ने आत्मसमर्पण करने और अधिक समय देने का अनुरोध किया है।

आत्मसमर्पण के लिए मांग: बिलकिस केस में 3 दोषी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर!

चार हफ्ते का समय देने की मांग: दोषियों ने याचिका में मांग की है कि उन्हें चार हफ्ते का समय दिया जाए कि वे जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करें। दोषी गोविंदभाई ने अपील की है कि उन्हें अपने 88 वर्षीय पिता और 75 वर्षीय माता की देखभाल करनी होगी। वह अकेले अपने माता-पिता की देखभाल करते हैं। आवेदक की उम्र लगभग पच्चीस वर्ष है। गोविंदभाई ने कहा कि वे खुद बुजुर्ग हैं और अस्थमा और खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे हैं।’

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा।दोषियों को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया मामला जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस संजय करोल की पीठ के सामने पेश किया गया था. हालांकि, पीठ ने रजिस्ट्री विभाग से मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश करने को कहा। पीठ ने कहा कि जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए अधिक समय चाहिए क्योंकि पीठ का गठन करना होगा। रविवार को पीठ का समय खत्म हो रहा है, इसलिए रजिस्ट्री विभाग को मुख्य न्यायाधीश से आदेश लेने को कहा गया है।

2002 के गुजरात दंगों में दोषियों ने बिलकिस बानो और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की हत्या कर दी थी। इस मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। गुजरात सरकार ने दोषियों को माफी देते हुए 14 साल की सजा काटने के बाद जेल से रिहा कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाएं दायर की गईं, जिस पर सुनवाई करने के बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्वल भुयन की पीठ ने गुजरात सरकार का निर्णय पलट दिया और दोषियों की रिहाई को गलत ठहराया।

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