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शायरी की दुनिया में एक सितारा कम: मुनव्वर राना का निधन {15-02-2024}

लखनऊ के शायर मुनव्वर राना का दुखद निधन

मुनव्वर राना  ने कहा, “दुख भी ला सकता है, लेकिन जनवरी अच्छी लगी..।”लखनऊ के एसजीपीजीआई में प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना का निधन हो गया है, जो ट्रांसपोर्ट के बिजनेस से शायर बनने तक की कहानी बताता है। राना की मौत से शोक है। वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा क्योंकि वह बीमार था।

लखनऊ के शायर मुनव्वर राना का दुखद निधन
लखनऊ के शायर मुनव्वर राना का दुखद निधन

मुनव्वर राना की आखिरी बातें: ‘जनवरी अच्छी लगी..

रविवार को प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना का निधन हो गया। राना को देर रात दिल का दौरा पड़ गया। राना पिछले कुछ दिनों से लखनऊ के पीजीआई में भर्ती हैं। रायबरेली में मौत की खबर से दुःख की लहर है। शायर का परिवार चार सदस्यों से बना है: उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा।राना के बेटे तबरेज ने बताया कि बीमारी की वजह से वह चौबीस से पंद्रह दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता में भर्ती कराया गया, फिर रविवार रात एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

 

मैं अपनी मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि मैं एक बच्चा बन जाऊँ।

मुनव्वर राना के चाहने वालों की नींदें उड़ गईं जब अस्पताल से उनके निधन की खबर आई। इन्हीं में से एक हैं वरिष्ठ पत्रकार और वरिष्ठ शायर हसन काजमी, जिन्हें हम सब प्यार करते हैं। फोन उठाते ही कहा कि बहुत सी यादें हैं, कुछ सुनाकर दिल हल्का हो जाएगा।

हसन काजमी कहते हैं कि वे ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करने वाले थे जब वे शायर बन गए थे। रायबरेली में रहते हुए भी कोलकाता में रहते थे। वहीं पढ़ाई-लिखाई और परिवहन का उद्योग शुरू हुआ। उन्हें फिर लखनऊ चला गया, जहां उन्हें उस्ताद वाली आसी की शागिर्दी मिली। मैं यहीं उनसे मिला था, और मुझे पता नहीं कब उनके दोस्त बन गए। उन्होंने गुलमर्ग होटल अमीनाबाद में एक कमरा लिया और महफिलों का दौर शुरू हो गया। साथ ही अखबार निकालने की असफल कोशिश भी शुरू हुई। कारोबारी कुछ दिन के लिए फिर चले गए जब उनके व्यापार में घाटा हुआ।

इन बयानों ने योगी को चर्चा में रखा और कहा कि अगर वे फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं तो वे राज्य के विधानसभा चुनावों में भाग लेंगे। वर्तमान सरकार पलायन-पलायन खेल रही है, शायर मुनव्वर राणा ने कहा कि अगर योगी दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो मैं पाकिस्तान-पलायन और जिन्ना को लेकर हो रही राजनीति को बेमतलब बताया। योगी सरकार पर उन्हें और मुसलमानों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार आ जाती है और योगी फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं तो हमें रहने की जरूरत नहीं है, मैं यहां से भाग जाऊंगा।

जिन्ना और पाकिस्तान के चुनाव

शायर मुनव्वर राना ने कहा कि जनता वास्तविक मुद्दों को देखकर वोट देगी। जिन्ना और पाकिस्तान के चुनाव में क्या लेना देना चाहिए? उनका कहना था कि बार-बार पाकिस्तान, तालिबान, अब्बाजान की बात करने का अर्थ है कि आप हिंदुस्तानी मुसलमानों पर शक करते हैं। उनके खिलाफ घृणा फैलाना चाहते हैं। उनका कहना था कि एक शायर को कौम का दर्द होता है। भाजपा सरकार इसलिए हमें परेशान करती है।

जाने के लिए हम पाकिस्तान जाते, लेकिन ये दोस्त कहां मिलेंगे?

यह खबर सुनते ही उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में मैनेजिंग डायरेक्टर रहे एपी मिश्रा की नींद उड़ गई। माना जाता है कि वह बहुत मूर्ख निकला। हमने कहा था कि पाकिस्तान जाना चाहिए था, लेकिन ये दोस्त कहां मिलेंगे? अब देखो। जीने का हुनर बताया जाता है कि ये बड़े लोग हैं आप जानते हैं कि ये बड़े लोग हैं और जीवित रहने की कला को जानते हैं…।हमारे कुछ दोस्तों ने ये पंक्तियां लिखी थीं। 2000 में कुंभ में बैठक हुई थी। तब से शायद कोई दिन नहीं हुआ, जब बात नहीं हुई होगी। कुछ दिन पहले मैंने वादा किया था कि मेरे चैंबर में आकर कुछ बताऊँगा। यह सब झूठ था।

एक सहयोगी चला गया..।

औरंगबाद में जानी मानी शायरा सबीना अदीब थीं। फोन लगातार घनघनाए तो उन्होंने फोन उठाया और निधन की खबर मिलते ही कहा कि सरपरस्त चला गया। अंतरराष्ट्रीय मुशायरों में जाते समय हमें लगता है कि हमारे साथ कोई सरपरस्त या अभिभावक है।
यह भी दुख दे सकता है, लेकिन जनवरी अच्छी लगी, जैसे बच्चों को जलती हुई फुलझड़ी अच्छी लगी सब रो रहे थे, तो मैं भी रोने लगा क्योंकि मुझे अपनी मां की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।

ये पंक्तियां वायरल होते ही मुनव्वर देश भर में फैल गए और लोगों को एक ऐसा शायर मिला, जिसकी हर पंक्ति मां से शुरू होती थी और मां पर ही खत्म होती थी। यह भी अजीब है कि जनवरी ने एक अद्भुत व्यक्ति के चले जाने का दुख दे दिया, लेकिन मुनव्वर की उस ख्वाहिश को पूरा किया कि मैं फिर से फरिश्ता बन जाऊं, जो उन्होंने अपनी मां की मौत पर कहा था।

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