दंडी: 138 लोगों से ठगी करने के आरोपी आढ़ती भाइयों ने धार्मिक स्थानों पर शरण ली, फिर वाराणसी पहुंचे. चरखी दादरी के झिंझर के 138 लोगों से 12.70 करोड़ की ठगी कर फरार हुए आढ़ती भाइयों ने पुलिस को गच्चा देने के लिए धार्मिक स्थानों पर शरण ली।
कुछ दिन बाद वे जगह बदलते रहे, लेकिन अंततः पुलिस ने उन्हें बनारस से गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपियों को आठ दिन की रिमांड पर रखा गया है और रिमांड अवधि पूरी होने तक कई खुलासे होने की उम्मीद है।
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Toggleआढ़ती भाइयों का धर्मिक स्थानों में शरण
दिसंबर 2023 के पहले सप्ताह में, आरोपी रामनिवास और सुरेश, उनके परिवार के साथ भाग गए। झिंझर के लोगों ने एसपी नितिका गहलोत से मुलाकात की उन्होंने ग्रामीणों से पैसे लेकर फरार होने वाले आढ़ती को गिरफ्तार कर उनसे पैसे वापस लेने की मांग भी की थी। रामनिवास और सुरेश सहित परिवार के बारह लोगों पर उनकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। SP ने इस मामले की जांच की। टीम ने पूरी तरह से जांच की तो आरोपी रामनिवास और सुरेश की जगह वाराणसी में पता चली। टीम ने तुरंत वाराणसी पहुंचकर दोनों भाइयों को पकड़ लिया। उन्हें वीरवार शाम को कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए आठ दिन के रिमांड पर रखा गया था।
रिमांड अवधि के दौरान पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वे धार्मिक स्थानों पर छिपते थे। पहले उन्होंने हरिद्वार में कुछ दिन बिताए, फिर वहां से वाराणसी आए। वे वाराणसी छोड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
39 दिन बाद आरोपी दोनों भाई लोगों से रुपये ठगने के बाद दो दिसंबर को 715 किलोमीटर दूर से गिरफ्तार किया गया था। तब से उनका और उनके परिवार के किसी भी सदस्य का पता नहीं चल रहा था। 39 दिन बाद पुलिस ने उन्हें बनारस से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस टीम उन्हें दादरी लेकर 715 किलोमीटर चली।
लोगों ने ब्याज के चक्कर में पैसे दिए
झिंझर गांव के लोग पिछले कई सालों से आढ़ती खरीदते रहे हैं, डीएसपी अशोक कुमार ने बताया।वह आढ़ती को ब्याज पर नकदी देते थे। ग्रामीण इतनी नई फसल बेचने से जो पैसे मिलते थे, उन्हें भी आढ़ती में जमा करवा देते थे। 138 ठगी पीड़ितों में से 40 पुलिस जांच में शामिल हैं।
दोनों आरोपी भाइयों को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर आठ दिन के रिमांड पर लिया है। उनसे रिमांड अवधि के दौरान बरामदगी होगी। इतना ही पुलिस उनकी मदद करने वालों का पता लगाएगी। रिमांड के दौरान आरोपियों को बताया जाएगा कि वे भागने के बाद कहां-कहां रुके और लोगों के पैसे का क्या किया।
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