संविधान की परिभाषा और उसका महत्व:-
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आज देश का संविधान दिवस है:-
भारत के संविधान की प्रस्तावना को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, इसलिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ विज्ञान भवन में मुख्य अतिथि होंगे। अमेरिका के संविधान इसे प्रभावित करता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना कहती है कि जनता सीधे संविधान की शक्ति है। India का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है।
कानून और न्याय मंत्रालय, भारतीय कानून संस्थान के सहयोग से रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में संविधान दिवस मनाएगा। 1949 में भारत का संविधान इसी दिन अपनाया गया था। इस वर्ष समारोह में पांच तकनीकी सत्रों वाली एक संगोष्ठी होगी। मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ होंगे।

संविधान क्या है,संविधान का महत्व:-
संविधान को आम तौर पर नियमों और उपनियमों का एक दस्तावेज कहा जाता है, जो देश की सरकार को चलाता है। यह देश की राजनीतिक व्यवस्था का मूल ढांचा बनाता है। हर देश का संविधान उसके उद्देश्यों, मूल्यों और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है। संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है; यह काल के साथ बदलता रहता है।
भारतीय संविधान की घोषणा:-
भारत के संविधान की प्रस्तावना दुनिया में सबसे अच्छी है। अमेरिका के संविधान इसे प्रभावित करता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना कहती है कि जनता सीधे संविधान की शक्ति है। भारत का संविधान देश का सर्वोच्च संविधान है।यह सरकार के मूल राजनीतिक सिद्धांतों, सिद्धांतों, प्रक्रियाओं, प्रथाओं, अधिकारों, शक्तियों और कर्त्तव्यों को बताता है।
दुनिया का सबसे लंबा संविधान:-
भारतीय संविधान तत्त्वों और मूल भावना में दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान मूल रूप से 395 अनुच्छेद (22 भागों में विभाजित) और आठ अनुसूचियां था, लेकिन कई संशोधनों के बाद अब 448 अनुच्छेद (25 भागों में विभाजित) और 12 अनुसूचियां हैं। इसमें पहले नहीं थे पांच परिशिष्ट भी जोड़े गए हैं।
संविधान में छह मौलिक अधिकार हैं :-
संविधान के तीसरे भाग में छह मूल अधिकार बताए गए हैं। वास्तव में, मौलिक अधिकार का मूल उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र की भावना को बढ़ाना है। यह विधायिका और कार्यपालिका के मनमाने कानूनों पर निरोधक की तरह काम करता है। जब मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो न्यायालय इन्हें लागू कर सकता है। भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता भी इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। भारत धर्मनिरपेक्ष है, इसलिए किसी भी धर्म को विशिष्ट मान्यता नहीं दी गई है।
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Haryana राज्य: हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया कि दूसरे विवाह के बावजूद पहले पति की मौत पर पत्नी को मुआवजे का हक है :-
हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना एक व्यक्ति का निजी निर्णय है और किसी को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। दोबारा विवाह करने के बाद भी वह अपने पहले पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे से वंचित नहीं की जा सकती है।
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