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Haryana High Court का निर्णय: दूसरे विवाह के बाद भी पहले पति की मौत पर पत्नी को मुआवजे का हक {25-11-2023}

पत्नी को मुआवजे का हक

Haryana राज्य: हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया कि दूसरे विवाह के बावजूद पहले पति की मौत पर पत्नी को मुआवजे का हक है :-

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पत्नी को मुआवजे का हक

हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना एक व्यक्ति का निजी निर्णय है और किसी को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। दोबारा विवाह करने के बाद भी वह अपने पहले पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे से वंचित नहीं की जा सकती है।

दोबारा विवाह के बावजूद, पहले पति की मौत पर मुआवजे का हक – हरियाणा हाईकोर्ट का सुप्रीम निर्णय:-

हरियाणा हाईकोर्ट का सुप्रीम निर्णय:-

दूसरे विवाह के बाद भी पत्नी को पहले पति की मौत पर मुआवजे का हक है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। हाईकोर्ट ने दूसरे विवाह को महिला की स्वतंत्र पसंद बताया है। हाईकोर्ट ने मृतक की विधवा को पुनर्विवाह के बाद भी मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल रेवाड़ी से मुआवजे के लिए बीमा कंपनी ने हकदार मानने को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना पत्नी का पूरी तरह से निजी निर्णय है, जिसमें किसी को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

हाईकोर्ट ने कहा: दूसरे विवाह के बाद भी मृतक की पत्नी को मुआवजे का हक है:-

दूसरा विवाह करने पर भी पत्नी पहले पति की मृत्यु के चलते मुआवजे की हकदार है। बीमा कंपनी और मृतक के अभिभावकों ने याचिका दाखिल करते हुए मोटर वाहन क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश में बदलाव की मांग की थी। याचिका में दलील दी गई थी कि जोगिंदर सिंह 3 मार्च 2010 को स्कूल बस और मोटर साइकिल की टक्कर में मर गया था। एमएसीटी रेवाड़ी ने इस मामले में 18 लाख रुपये का मुआवजा तय किया और इसका 40 प्रतिशत मरने वाले व्यक्ति की विधवा को देने का आदेश दिया गया।

पति की मौत के बाद दूसरे विवाह का निजी निर्णय: हरियाणा हाईकोर्ट की उदार फैसला:-

हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक की पत्नी दोबारा विवाह करने के बाद उस पर निर्भर नहीं थी, इसलिए उसे मुआवजा नहीं देना चाहिए। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय दिया कि मृतक की विधवा ने 2013 में फिर से विवाह किया था। वह अपने पहले पति के साथ रहती थी और पूरी तरह से उसके साथ रहती थी।

पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना व्यक्तिगत निर्णय है, जिसमें किसी को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। दोबारा विवाह करने के बाद भी वह अपने पहले पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे से वंचित नहीं की जा सकती।

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