अमेठी लोकसभा चुनाव 2024 से दूर रहकर भी राहुल गांधी, कांग्रेस और स्मृति इरानी की ये विशिष्ट रणनीति क्यों चर्चा में हैं? अमेठी से दूर रहकर भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी चर्चा में हैं। भाजपा के हमलों से राहुल पर नई बहस शुरू हो गई है, हालांकि वे चुनाव प्रचार में नहीं दिखाई देते हैं।
अमेठी से दूर रहकर भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी चर्चा में
अमेठी में राहुल गांधी ने चुनाव हार गया। अब वायनाड राजनीतिक केंद्र है। इस बीच, वे अमेठी से लगभग अलग हो गए। 20 फरवरी को यहां पहुंची उनकी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में कांग्रेस नेताओं में उत्साह नहीं था। भाजपा ने स्मृति इरानी को मैदान में उतारने के बाद मोर्चेबंदी शुरू कर दी है, जो संसदीय चुनाव की रंगत के बीच हुआ हैकांग्रेस केवल प्रत्याशी पर चर्चा कर रही है। हालाँकि, अमेठी में पांचवें चरण में नामांकन 26 अप्रैल से शुरू होने वाला है।तीन मई नामांकन की तिथि है, और 20 मई को मतदान होगा। इस सब के बीच, राहुल गांधी पिछले 15 दिनों से अमेठी से दूर रहते हुए फिर से चर्चा में हैं। यह कांग्रेस की कोशिश नहीं, बल्कि भाजपा के उम्मीदवार स्मृति इरानी की रणनीति का परिणाम है।
2019 में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड और अमेठी में भी चुनाव जीता था। वह अमेठी में भाजपा के उम्मीदवार स्मृति इरानी से करारी हार गए, लेकिन वायनाड में जीतकर संसद पहुंचे। राहुल अभी भी वायनाड से मैदान में हैं। उनका अमेठी से चुनाव लड़ना अभी भी संशय का विषय है।यहाँ प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड़ा के नाम बार-बार चर्चा में आते हैं। समीकरण के लिए स्थानीय प्रत्याशी पर भी चर्चा हो रही है। कांग्रेस इस सब के बीच खुलकर बोलने को राजी नहीं है। पार्टी का मौन कार्यकर्ताओं को परेशान करेगा।
अब राजनीति का दूसरा पक्ष देखेंगे।
कांग्रेस बिना राहुल मौन है, लेकिन भाजपा की उम्मीदवार स्मृति इरानी की सक्रियता ने चाहे अनचाहे राहुल को फिर से चुनावी चर्चा में ला दिया है। वास्तव में, स्मृति ने हर बैठक में राहुल को निशाने पर लेकर, उस पर आरोप लगाकर, उसे भगोड़ा बताकर और गांधी परिवार पर तोहमत मढ़कर आम लोगों को राहुल की तरह सवाल उठाया।उसकी कार्रवाई ने अमेठी में राहुल पर एक नई बहस शुरू कर दी है। यह बहस किस दिशा में जा रही है, अभी बताना थोड़ा जल्दबाजी होगी। लेकिन चुनाव के दौरान जो क्षेत्र कांग्रेस के विजेता से खाली था, वह अब राहुल के नाम से उत्साहित होने लगा है।26 अप्रैल, हमलावर स्मृति के बाद राहुल गांधी फिर अमेठी आएंगे। राहुल, जो अभी तक वायनाड को अपना परिवार कहते हैं, अमेठी को अपना परिवार बताएंगे।
15 वर्षों में अमेठी को अपना घर कहने वाले यहां अपना घर तक नहीं बना सका।
अमेठी को एक दीदी के रूप में जाना जाता है, जो अपनों के बीच में रहती है, न कि एक लापता सांसद।
हमने देखा है कि लोग घर बदलते हैं, लेकिन राहुल परिवार ही घर बदल रहे हैं।
इंतजार करो
कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने कहा कि फिलहाल कुछ भी बताने योग्य नहीं है। इंतजार करो, इंतजार करो। तैयारी के बारे में कहते हुए कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे, सब कुछ तैयार है। कहीं कोई परेशानी नहीं है। यह कहते हैं कि समय कम होने पर जनता खुद यह चुनाव लड़ रही है।
अमरोहा से यूपी में सक्रियता: शनिवार को अमरोहा के मिनी स्टेडियम में प्रदेश में कांग्रेस और सपा की पहली संयुक्त बैठक हुई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मिलकर जनसभा को संबोधित किया है, यह लोकसभा चुनाव में पहली बार है।दोनों नेताओं ने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने और विपक्षी गठबंधन इंडिया की ताकत दिखाने का भी प्रयास किया। अब राहुल को यूपी में अधिक सक्रिय होना चाहिए।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि 26 अप्रैल को वायनाड सीट पर दूसरे चरण में मतदान होना है। इसके बाद, वे अमेठी और रायबरेली के साथ ही पूरे राज्य में काम करेंगे। उम्मीद है कि दोनों स्थानों से प्रत्याशी भी इसी समय घोषित होगा।
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