चंडीगढ़ मेयर चुनाव में विवाद: फिलहाल मेयर मनोज सोनकर रहेंगे, चंडीगढ़ में मंगलवार को हुए मेयर चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ था, इसलिए हाईकोर्ट ने प्रशासन से तीन सप्ताह में उत्तर मांगा।
भाजपा के मनोज सोनकर 16 वोटों से विजयी हुए। साथ ही, आप और कांग्रेस गठबंधन के २० में से आठ वोटों को अमान्य घोषित किया गया था। हार के बाद गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप टीटा ने चुनाव को दोबारा करवाने की याचिका दायर की।
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Toggleचंडीगढ़ मेयर चुनाव में उलटफेर: मनोज सोनकर बने मेयर, हाईकोर्ट के प्रशासन से सवाल
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर किसी भी तत्काल राहत नहीं दी है।कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मेयर पद के दावेदार कुलदीप कुमार की याचिका पर हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस भेजा है।
याची पक्ष ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही कहा कि पूरे देश ने चुनाव में पीठासीन अधिकारी की धांधली को देखा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। याची पक्ष ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की।
इस मामले में चंडीगढ़ प्रशासन से पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह की मोहलत मांगी गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी और प्रशासन को तीन सप्ताह का समय दिया।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव :याचिका लंबित रहते मनोज सोनकर के मेयर पद पर रहने पर रोक लगाने की मांग हाई कोर्ट ने ठुकरा दी। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी अंतरिम राहत का आदेश चंडीगढ़ प्रशासन की प्रतिक्रिया के बाद ही जारी किया जाएगा। प्रशासन ने कहा कि यह याचिका वैध नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता के पास अन्य उपाय हैं।चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर पद के लिए कांग्रेस-आप के प्रत्याशी कुलदीप कुमार ने चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए धांधली का आरोप लगाया था।
याचिका में कहा गया था कि चंडीगढ़ नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर और मेयर के चुनाव 30 जनवरी को हुए थे। मंगलवार को निर्धारित कार्यक्रम के तहत भी चुनाव हुए, लेकिन कांग्रेस-आप के 20 में से 8 वोट अवैध करार दिए गए, इसलिए भाजपा का उम्मीदवार मेयर चुना गया।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने वोटों की गिनती के दौरान मतपत्रों से छेड़छाड़ की, जिसके परिणामस्वरूप उनके वोट अवैध ठहराए गए। कुलदीप कुमार की ओर से सीनियर एडवोकेट गुरमिंदर सिंह ने दोपहर सवा दो बजे हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई की जाए और चुनाव का रिकॉर्ड सील किया जाए क्योंकि यह लोकतंत्र की प्रत्यक्ष हत्या है। हाईकोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, इसलिए बुधवार सुबह सुनवाई होगी।
याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के डीजीपी को पारदर्शी चुनाव करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी, लेकिन चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए। आप-कांग्रेस गठबंधन ने बीजेपी के प्रत्याशी को जीता। ऐसे में हाईकोर्ट से अपील की गई कि भ्रष्ट चुनावों को रद्द करके नए चुनाव करवाने का आदेश दिया जाए।
निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, चुनाव को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में करवाया जाए। चुनाव के दौरान हुई धांधली की जांच करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एसआईटी बनाई जाए और चुनाव से जुड़ा हर रिकार्ड सील किया जाए।
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