सपा और रालोद ने लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से मिलकर काम किया है। शुक्रवार को दोनों पार्टियों के सहयोग की स्थिति स्पष्ट हो गई। सीटों के नाम पर अंतिम समझौता नहीं हुआ है। मुजफ्फरनगर सीट दोनों पार्टियों के बीच एक बहस का विषय है।
दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव में नए सिरे से गठबंधन बनाया है, लेकिन मुजफ्फरनगर पर अभी अंतिम समझौता नहीं हुआ है। सपा के उम्मीदवार को लेकर रालोद का सिंबल अटक गया है। कैराना, बागपत और मथुरा रालोद में जाना संभव है।
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Toggleलोकसभा चुनाव में फिर से मिलकर काम कर रहे हैं सपा और रालोद
कैराना में सिंबल रालोद और सपा का प्रत्याशी होगा। शुक्रवार को सपा और रालोद गठबंधन का चित्र स्पष्ट हो गया था। सीटों पर अंतिम समझौता नहीं हुआ है। रालोद को पहली सहमति में सात सीटें मिली, लेकिन सपा दो से तीन जगह अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है।यही कारण है कि रालोद के पास सिर्फ चार या पांच सीटें रह जाएंगी। रालोद का सिंबल बागपत, कैराना और मथुरा में रहेगा। लेकिन मुजफ्फरनगर की बात अलग है। रालोद नेतृत्व ने फिलहाल सपा के उम्मीदवार नल के सिंबल से इनकार कर दिया है।
यह भी संभव है कि सपा मुजफ्फरनगर में अपने ही सिंबल पर प्रत्याशी उतारे और रालोद बिजनौर में अपना प्रत्याशी उतारे।इसलिए अंतिम निर्णय नहीं हो सका। रालोद के प्रत्याशी ही बागपत और मथुरा में चुनाव लड़ेंगे।
दोनों दलों के बीच हुई बातचीत के बाद, आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर सुरक्षित नगीना सीट से चुनाव लड़ेंगे। यही कारण है कि सपा और रालोद ने नगीना सीट को अपनी चर्चा में नहीं लिया है।
सपा और रालोद ने विधानसभा चुनाव में सिंबल पर समझौता करने के बाद प्रत्याशी बदल लिए थे। यही कारण है कि मीरापुर में चौहान और पुरकाजी में अनिल कुमार रालोद के टिकट पर विजयी हुए। यही फार्मूला इस बार भी कुछ सीटों पर लागू किया जाएगा।
पूर्वी सांसद हरेंद्र मलिक भी शुक्रवार सुबह लखनऊ पहुंचे, वह भी सपा में पश्चिमी रणनीतिकारों में से एक है। दोनों नेताओं ने गठबंधन पर मुहर लगाने से पहले पश्चिमी समीकरण भी जानने की कोशिश की। मलिक सपा से टिकट की उम्मीदवारी कर रहे हैं। रालोद ने अभी तक उनके नाम पर समझौता नहीं किया है।रालोद से टिकट चाहने वालों में इनका नाम भी शामिल है। यहाँ भी शामली के विधायक प्रसन्न चौधरी, रालोद विधानमंडल दल के नेता राजपाल बालियान, पूर्व मंत्री योगराज सिंह और पूर्व विधायक चंद्रवीर सिंह की बेटी मनीषा अहलावत के नामों का उल्लेख किया जाता है।
रालोद के रणनीतिकार पार्टी अध्यक्ष जयंत सिंह या चारू चौधरी मुजफ्फरनगर को बागपत से बेहतर बता रहे हैं। लेकिन जयंत सिंह चुनाव में भाग लेंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने अपनी पत्नी चारू चौधरी को भी प्रत्याशी बनाने की चर्चा की है। चुनाव नजदीक आने के बाद ही प्रत्याशी का समीकरण स्पष्ट होगा। जयंत सिंह चुनाव में उतरने की संभावना है अगर गठबंधन के दलों के अध्यक्ष चुनाव जीतेंगे।2019 में रालोद ने मुजफ्फरनगर, बागपत और मथुरा में 19 स्थानों पर और 24 स्थानों पर चुनाव जीता था। तीनों में हार हुई। इस बार बागपत, कैराना और मथुरा सीटों पर अभी तक समझौता नहीं हुआ है। लेकिन चार अतिरिक्त सीटें अभी भी विवादित हैं।
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