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Toggleभाजपा और कांग्रेस के सामने बागियों की चुनौती
भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों के लिए इस बार टिकट बंटवारे में बागियों से निपटना बड़ी चुनौती साबित हो रही है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज नामांकन का आखिरी दिन है, लेकिन बुधवार देर रात तक प्रमुख राजनीतिक दलों की सूचियां ही जारी की गईं। कांग्रेस ने देर रात 40 प्रत्याशियों को घोषित किया, जबकि भाजपा ने सिरसा, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद एनआईटी से अपने तीन अतिरिक्त प्रत्याशियों को घोषित किया। आप और जजपा गठबंधन ने इससे पहले चुनाव लड़ने वाले अपने-अपने नेताओं के नामों पर मुहर लगा दी। आज ये सभी प्रत्याशी अपना नामांकन देंगे।
केंद्रीय नेतृत्व की मुश्किलें
भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को अबकी बार टिकट कटने से नाराज नेताओं की बगावत के कारण बहुत अधिक चुनौती का सामना करना पड़ा। नेताओं के पदों में गिरावट आई जैसे-जैसे सूचियां जारी होती रहीं। कुछ नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों से बाहर निकलकर स्वतंत्र उम्मीदवार बन गए। अब जो लोग पार्टी से बाहर नहीं गए हैं, वे भितरघात का खतरा भोग रहे हैं।
चुनावी रणनीति पर संकट
भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी रणनीति बनाने की बजाय बागियों की प्रशंसा में दिन बिताए। बागियों को नियंत्रित करने में वरिष्ठ नेता जैसे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मनोहर लाल, सीएम नायब सैनी और वरिष्ठ नेता बिप्लब देब शामिल रहे। इस दिशा में संघ ने भी सकारात्मक प्रयास किए। कुछ बागी नेताओं को दिल्ली बुलाकर उनकी समझाइश दी गई।
कई नेता ने टिकट नहीं मिलने पर बहुत दुखी हो गए। सूबे की जनता ने चुनाव लड़ने में पहले कभी ऐसा उत्साह नहीं देखा होगा। नेताओं और उनके समर्थकों ने पदों से इस्तीफा तक दे दिया। इनमें विधायक, पूर्व मंत्री और निगमों और बोर्डों के चेयरमैन शामिल थे। महापंचायतों और निर्दलीय चुनावों तक चले गए।
भाजपा और कांग्रेस दोनों को बगावत का भय था। इसके परिणामस्वरूप, कांग्रेस ने चार दर्जन प्रत्याशियों की सूची नामांकन के अंतिम दिन तक रोक दी। इस सूची को शायद नामांकन की अंतिम तिथि से एक दिन पहले, यानी 11 सितंबर की देर रात, जारी किया गया था, इस धारणा से कि बागियों को अगली सुबह निर्दलीय चुनाव लड़ने की रणनीति बनाने के लिए बहुत कम समय मिलेगा।
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि नामांकन सूची सार्वजनिक होने से पहले जिन लोगों का नाम निर्धारित हो गया था, उन्हें 11 सितंबर की सुबह नामांकन की तैयारी करने का आदेश दिया गया था। जैसे-जैसे, कलायत सीट से सांसद जयप्रकाश के बेटे विकास सहारण ने बुधवार सुबह अपना नामांकन कर लिया और कांग्रेस प्रत्याशी बन गया। वास्तव में, रणदीप सुरजेवाला इस सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी को उतारना चाहते थे।
पलवल सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल को भी टिकट मिल गया है, लेकिन एक दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। दिल्ली में रह रहे नेताओं को टिकट कटने की सूचना मिलने पर वे बुधवार शाम तक अपने-अपने जिलों में वापस चले गए।
कांग्रेस ने अंबाला कैंट सीट पर देर रात तक पते नहीं खोले। यहां, पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र ने पूरा जोर लगाया। पिता निर्मल को सिटी सीट का प्रत्याशी घोषित किया गया था, लेकिन आज कैंट का प्रत्याशी निर्धारित होगा।वास्तव में, अंबाला से सांसद रही सैलजा भी अपने प्रत्याशियों को कैंट और सिटी सीट पर टिकट दिलाने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं।
कुल मिलाकर, चुनावी बिसात के विजेता अब विजेता होंगे। राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर जेएस नैन का कहना है कि हरियाणा के किसी भी चुनाव में ऐसा विद्रोह पहले कभी नहीं देखा गया है। सियासी दलों को सीधे नुकसान पहुंचाने वाला नेता निर्दलीय हो जाएगा, लेकिन नाराज नेता पार्टी नहीं छोड़ेंगे। अब देखना होगा कि इनेलो, जजपा और आप भाजपा और कांग्रेस के समर्थकों की नाराज़गी को कैसे भुनाते हैं।
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