Chhota Bheem And Damyaan’s Curse Review: बीते दो दशक में छोटा भीम का किरदार देश भर में टेलीविजन और ओटीटी के माध्यम से बड़े परदे पर बाल सिनेमा का नया “यज्ञ”, सीक्वल, पहले से ही तैयार है। इस किरदार पर बनाई गई एनीमेशन श्रृंखला ने छोटा भीम की एनीमेशन फिल्मों को भी प्रेरणा दी। पहले भी छोटा भीम और द कर्स ऑफ दमयान नामक एक एनीमेशन फिल्म बनाई गई थी।
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लेकिन छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान देश की पहली लाइव एक्शन फिल्म है, जो किसी देसी एनीमेशन किरदार पर बनाई गई थी और सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। उस आयु वर्ग के बच्चों में छोटा भीम बहुत लोकप्रिय है, इसलिए वे घर से निकलकर माता-पिता के साथ सिनेमाघरों की सैर करते हैं।छोटा भीम की लोकप्रियता जिस आयु वर्ग के बच्चों में है, उनके लिए घरों से निकलकर माता-पिता के साथ सिनेमाघरों में जाना एक अच्छा बहाना है और फिल्म बनाने वालों का लक्ष्य अपने इस लक्षित वर्ग को सिनेमाघरों तक लाना है।
ग्रीन गोल्ड एनीमेशन स्टूडियो, हैदराबाद, जिसने फिल्म “कल्कि 2898 एडी” की पूर्वगाथा के रूप में “भैरव और बुज्जी” नामक एनीमेशन सीरीज बनाई है। छोटा भीम और द कर्स ऑफ दमयान फिल्म भी अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने के दिन सिनेमाघरों में आई है। Storyline ढोलकपुर गांव की है। जहां दमयान नामक घृणित नागपुरुष का भय है छोटा भीम, गांव का सबसे बड़ा खैरख्वाह, अब समय में पीछे जाकर दमयान को खत्म करना है जब वह खुद को सबसे बड़ा बनाने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान से अतीत की इस कहानी में एक छोटा भीम की मंडली है। उसमें भी एक हमउम्र प्रतिद्वंद्वी है और कई जादू, टोने और टटके हैं जो बच्चों को मनोरंजन कर सकते हैं।
ग्रीन गोल्ड स्टूडियो, जो अभी से सीक्वल की तैयारी कर रहा है, ने भी छोटे भीम को बड़े परदे पर लाने के लिए पूरी तरह से तैयार किया है। फिल्म नेटफ्लिक्स के लिए पहले से ही बिक चुकी है और सैटेलाइट अधिकारों को भी फिल्म की बड़ी कमाई का पता है। जैसा कि छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान फिल्म के अंत में घोषणा की गई है, ऐसा लगता है कि छोटा भीम की फिल्मों की श्रृंखला बड़े परदे पर भी जारी रहेगी। डेढ़ अरब की आबादी वाले भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने वाला देश माना जाता है, लेकिन अब तक बच्चों की फिल्में बनाने के लिए कोई विशिष्ट स्टूडियो नहीं बनाया गया है। बच्चे डिज्नी की फिल्मों का इंतजार करते हैं, इसलिए फिल्में जैसे “जंगल बुक”, “लायन किंग” और “मोआना” देश में अच्छी कमाई करती हैं।
छोटा भीम और द कर्स ऑफ दमयान की मेकिंग और एनीमेशन डिज्नी की फिल्मों की तरह नहीं हैं, लेकिन भारत में इस दिशा में बड़े परदे पर शुरुआत करना एक साहसिक कदम माना जा सकता है। फिल्म में बड़े परदे पर बोहनी का मुख्य किरदार उत्तराखंड से आए कलाकार यज्ञ भसीन है। हिंदी फिल्मों व धारावाहिकों में वह प्रसिद्ध अभिनेता हैं। लेकिन, किसी फिल्म का शीर्षक किरदार करना एक बड़ा उपलब्धि हो सकता है। हट्टे-कट्टे शरीर के बावजूद, इस किरदार के लिए चेहरे पर मासूमियत की आवश्यकता पूरी तरह से पूरी है। उन्हें हरे परदे पर न दिखने वाले किरदारों की सिर्फ कल्पना करके अभिनय करना भी एक चुनौती ही रही होगी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया है।
ग्रीन गोल्ड स्टूडियो के मालिक राजीव चिलका ने फिल्म छोटा भीम और द कर्स ऑफ दमयान का निर्देशन किया है। फिल्म मेघा की निर्माता उनकी पत्नी हैं। राजीव, अमेरिका में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में एक अच्छा खासा करियर छोड़कर डेढ़ दशक से भी पहले भारत लौटे और आज उनकी कंपनी देश के सबसे बड़े एनीमेशन स्टूडियो में शामिल है। उन्हें तकनीक का अच्छा ज्ञान है। वह सिनेमा का ज्ञान धीरे-धीरे प्राप्त कर रहे हैं। बतौर बड़े परदे की पहली फिल्म के निर्देशक, उन्होंने बहुत कुछ सीखा भी। उन्होंने बड़े परदे की अपनी पहली फिल्म में भी बहुत कुछ सीखा है। दमयान और छोटा भीम के साथी बंदर को फिल्म में सिर्फ कंप्यूटर पर बनाया गया है, लेकिन दोनों बड़े परदे पर बहुत प्रभावी हैं।
‘छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान’ की कमजोर कड़ियों में इसकी बहुत साधारण सी कहानी पहली बड़ी बाधा है; कहानी और कास्टिंग दोनों पर बहुत मेहनत की जरूरत है। इसमें कल्पना और बेहतर उड़ान की आवश्यकता होती है। फिल्म के लिए चुने गए बाल कलाकारों को शूटिंग से पहले दो या तीन कार्यशालाएं किसी अनुभवी निर्देशक के साथ करानी चाहिए थीं। फिल्म की कास्टिंग का एकमात्र कारण अनुपम खेर को छोटा भीम के गुरु के रूप में लेना था। फिल्म की कास्टिंग में अनुपम खेर को छोटा भीम के गुरु के रूप में लेना ही सबसे बड़ी जीत है। फिल्म को उनके नाम से भी बल मिलता है। लेकिन नवनीत ढिल्लों और मकरंद देशपांडे के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा भी यहां गुलाब चाचा का किरदार निभाते हैं।
तकनीकी तौर पर फिल्म छोटा भीम एंड द कर्स ऑफ दमयान को पासिंग मार्क्स मिल सकते हैं, लेकिन राजीव चिलका को बेहतर कहानियों और बेहतर एनीमेशन तकनीशियनों की मदद चाहिए, ताकि इस फ्रेंचाइजी को दुनिया भर में एक शानदार फ्रेंचाइजी बनाया जा सके। डिज्नी की फिल्में इस मामले में उनका संदर्भ बिंदु हो सकती हैं ये सीरीज बच्चों के लिए एक अच्छी फ्रेंचाइजी बन सकती है अगर वह अपनी अगली फिल्मों में मोशन कैप्चर तकनीक का उपयोग कर सकता है। फिल्म का गीत-संगीत बहुत कमजोर है; जमीन से जुड़ी फिल्मों में जमीन से जुड़ा संगीत, अलग-अलग राज्यों का लोक संगीत और पारंपरिक वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल आवश्यक है। इस फिल्म से सबक लेकर राजीव चिलका अपनी अगली फिल्मों में सफल होंगे।
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