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शनिवार देर रात शाहदरा के कृष्णा नगर इलाके में एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लगी {27-05-2024}

शनिवार देर रात शाहदरा के कृष्णा नगर इलाके में एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लगी

Delhi में आग: बचाओ, बचाओ, कोई आग लगी है..। शनिवार देर रात शाहदरा के कृष्णा नगर इलाके में एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लगी, जिसमें टूटी सीढ़ी और रस्सी के सहारे बचाई गई जान। 12 लोगों को सीढ़ी लगाकर निकाला गया। मां-बेटे सहित तीन लोगों ने आग में मर गए।

शनिवार देर रात शाहदरा के कृष्णा नगर इलाके में एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लगी

शनिवार देर रात शाहदरा के कृष्णा नगर क्षेत्र में एक चार मंजिला इमारत में आग लग गई। ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले लोगों को पार्किंग में लगी आग की तपिश और धुआं ने जगाया। अचानक वहाँ हड़कंप मच गया। चीख-पुकार के बीच पुलिस और दमकल को सूचना दी गई। पड़ोसियों ने भी मदद के लिए भाग लिया। मौके पर पहुंचे दमकल कर्मियों ने आग को नियंत्रित किया|

दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पाकर इमारत में फंसे लोगों को बाहर निकालना शुरू किया।धीरे-धीरे बारह लोगों को इमारत के सामने और पिछले भाग में सीढ़ियों से निकालकर विभिन्न अस्पताल में भेजा गया। पहले जीटीबी अस्पताल में मां-बेटे की मौत हो गई। पहली मंजिल से एक और बुजुर्ग महिला का शव जली हुई हालत में बाद में मिला। मृतकों को प्रोमिला साध (66), अंजू शर्मा (39) और उनके बेटे केशव शर्मा (18) के रूप में शिनाख्त किया गया है। वहीं तीन लोगों की हालत गंभीर है और वे अस्पताल में हैं। सात अन्य लोगों को हल्की चोटें आई हैं। पुलिस ने शिकायत दर्ज की है।

पड़ोसियों ने सीढ़ी और रस्सी लगाकर लोगों की जान बचाई

आग लगी है, कोई है..। बचाओ..। मेरे बच्चों को छोड़ दो। शनिवार रात ढाई बजे मनीषा पति राजेश के साथ घर से बाहर आईं। बाहर निकलते ही मैंने देखा कि सामने वाला घर आग में जला हुआ था।इधर-उधर लोग भाग रहे हैं। उनके घर भी आग की लपटें पहुंच रही हैं। कृष्णा नगर के पश्चिमी आजाद नगर की गली नंबर एक पर यह भयानक दृश्य था। शनिवार देर रात को यहां मकान नंबर 219 में भारी आग लग गई।

देखते ही धुएं से जूझते हुए एक व्यक्ति उनसे मदद की गुहार लगा रहा है। ऐसे में मनीषा तुरंत अपने पति के साथ आग लगे घर की दूसरी मंजिल पर पहुंचीं और टूटी सीढ़ी और रस्सी का सहारा लेकर वहाँ टिका दीं।
वह रोते हुए बताती है कि पहले उन्होंने तीन से चार बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला था, लेकिन डर था कि टूटी सीढ़ी से लोग नीचे न गिर जाएं। नतीजतन, कुछ ने नीचे खड़े होकर मोर्चा संभाला। उसके बाद पुरुषों और महिलाओं को निकालने में मदद की।

मृतकों की जान बचाई जा सकती थी अगर दोनों तरफ से दरवाजे खुले होते, उनके पति राजेश ने बताया।मृतकों की जान बचाई जा सकती थी, उनके पति राजेश ने बताया।20 वर्षीय मनन साद, जो जान बचाने की मांग करते रहे लोगों की बचाव में शामिल था, भावुक होकर बताता है कि वह अक्सर आग की चपेट में आए लोगों से मिलते रहता था।

लेकिन वह रात भयानक थी, जब उन्होंने अपनी आंखों के सामने लोगों को जीवन बचाने की मांग करते देखा। उनका कहना था कि बहुत से दरवाजे लोगों ने ताले लगा रखे थे, इसलिए कई खुल नहीं रहे थे। ऐसे में वह लोहे का रास्ता लेकर आया और दरवाजे तोड़े। बाद में कुछ लोगों को सुरक्षित निकाला गया। यही नहीं, लोगों ने बालकनी में कपड़ों को सुखाने के लिए रस्सी लगा दी थी। इससे लोगों को वहां से निकलने में भी कठिनाई हुई। यही कारण था कि उन्होंने रस्सी काटी। जिससे लोग सीढ़ी का सहारा लेकर छत पर पहुंचे।

चाचा के घर रुक जाएगा तो नहीं घटना का शिकार

यह बताते हुए कि पार्किंग क्षेत्र में लगी आग चौथी मंजिल तक पहुंच गई थी, घटना का अनुमान लगाया जा सकता है। लोगों को सांस लेने में कठिनाई हुई, क्योंकि सीढ़ियों पर धुआं था। ऐसे में चौथी मंजिल में रहने वाले लोगों ने छत का दरवाजा तोड़कर दूसरे घर की छत पर रस्सी लगाकर छलांग लगा दी। घटना में घायल राखी ने बताया कि वह सबसे ऊपर की मंजिल पर रहती है। जब उन्होंने लोगों की रोने की आवाज सुनी, तो दरवाजा खोलते ही धुएं का गुबार घर में घुस गया।

बच्चे रोने लगे, पूरा घर धुएं से भर गया। मैं नहीं जानता था कि कहां जाएँ। ऐसे में वह अपने बच्चों को छत पर ले गई और रस्सी के सहारे दूसरी छत पर अपने बच्चों को फेंक दी। तब वह और उनका पति उस छत पर कूद पड़े। इसलिए भी उनके सिर पर चोट आई है। प्रदीप कुमार, उनके पति, बताते हैं कि वह परिवार के साथ अपने चाचा के घर गया था।उस रात वह वहीं रहता तो दुर्घटना का शिकार नहीं होता।

दिन भर, घटना के बाद घटनास्थल पर लोगों का तांता लगा रहा। दुर्घटना में घायलों के परिजनों और चिकित्सकों को उनकी तलाश में भटकना पड़ा। शाहदरा से आए हेमंत ने बताया कि कल से उनका फोन नहीं आ रहा है और उनकी बहन यहां रहती है। जो उन्हें यहां लाया है। उनका कहना था कि जब वे यहां पहुंचे तो पता चला कि घर में आग लग गई है। वह मायूस होकर कहते हैं कि अब वे नहीं जानते कि कहां जाएं। वह अस्पताल गए थे, लेकिन अभी तक कोई नहीं मिला।

शनिवार रात को कृष्णा नगर में आग लगी, इसी बीच सात से आठ जोमैटो के कर्मचारी खाने की डिलीवरी करने जा रहे थे, जो भयानक दृश्य में फरिश्ते बनकर आए। उन्हें गली में शोर मच गया। वह तुरंत अपनी स्कूटी और बाइक छोड़कर आग में फंसे लोगों को बचाने के लिए भागे। इमारत में फंसे लोगों को बचाने में अपनी जान की परवाह नहीं की। इसके लिए उन्होंने अपने सारे आदेश रद्द कर दिए। नीरज, एक चश्मदीद, ने बताया कि उन्होंने वहां फंसे लोगों को सीढ़ी से निकाला। वह बच्चों को कंधों पर उठाकर अपनी गोद में लेकर सुरक्षित बाहर निकल रहे थे। लगभग बारह लोगों को बचाकर वह चले गए। उनका कहना था कि भगवान ने उनसे फरिश्ते भेजे थे।

अन्य लोगों ने बताया कि घर में आग तेजी से फैल रही थी, जिसने बच्चे को कंबल में लपेटकर बचाया। कोई उपाय नहीं मिलने पर, उन्होंने एक बच्ची को कंबल से लपेटकर नीचे फेंका। बच्चा बच गया, लेकिन कंबल बीच में ही तारों पर अटक गया। पड़ोसियों की जान बचाने के लिए उनके परिवार ने पूरी रात बालकनी में खड़े होकर प्रयास किया, जैसा कि दाईं ओर फ्लैट की चौथी मंजिल पर रहने वाले अंकित ने नम आंखों से बताया। इसके लिए उन्होंने गीले कपड़े बनाए हुए|

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