Vijay Hansaria ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि MP/MLA Court में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी आई है। लंबित मामलों को भी जल्द सुनवाई देने के लिए कोर्ट को और दिशानिर्देश दिए जाने चाहिए।
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ToggleSC :पिछले वर्ष, सांसदों-विधायकों के खिलाफ दो हजार से अधिक मामलों में निर्णय, सुप्रीम कोर्ट को प्रदान की गई सूचना
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि पिछले साल देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज कुल मामलों में से दो हजार से ज्यादा में फैसला हुआ था। यह जानकारी वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने हलफनामा दायर कर दी थी। दरअसल, एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है, जिसमें जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई को तेज करने की मांग की गई है। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है।
MP/MLA Court में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई में तेजी, विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया। लंबित मामलों को भी जल्द सुनवाई देने के लिए कोर्ट को और दिशानिर्देश दिए जाने चाहिए। हलफनामे में कहा गया है कि उच्च न्यायालयों द्वारा सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सख्ती से समीक्षा की जानी चाहिए। वकील विजय हंसारिया ने न्यायालय में एनजीओ एडीआर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कुल 2,810 उम्मीदवारों में से 501, यानी 18 प्रतिशत, दागी थे। इनमें से 327 के खिलाफ भी गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें जनप्रतिनिधि को पांच साल या अधिक की सजा हो सकती है अगर वे दोषी पाए जाएँ।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी 1500 उम्मीदवारों (1070 गंभीर आपराधिक मामले) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। 17वीं लोकसभा (2019–2024) के लिए चुने गए 514 लोगों में से 225, यानी 44%, पर आपराधिक मामले दर्ज थे। मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील हंसारिया ने हलफनामे में बताया कि 1 जनवरी 2023 तक 4,697 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से बीते साल 2,018 मामलों में फैसला हुआ था। हलफनामे के अनुसार, 2023 में नेताओं के खिलाफ 1746 नए मामले दर्ज हुए। 1 जनवरी 2024 तक, नेताओं के खिलाफ 4,474 आपराधिक मुकदमे लंबित हो चुके हैं।
हलफनामे के अनुसार, इन राज्यों में निपटाए गए मामले में से उत्तर प्रदेश की एमपी-एमएलए कोर्ट में दर्ज 1300 मामलों में से 766 पिछले साल निपटाए गए। पिछले वर्ष दिल्ली में दर्ज 105 मामलों में से 103 को निपटारा दिया गया था। महाराष्ट्र में भी 476 में से 232 में फैसला हुआ। बंगाल में 26 में से 13 मामले, कर्नाटक में 226 में से 150 मामले, केरल में 370 में से 132 मामले और बिहार में 525 में से 171 मामले में निर्णय लिया गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि लंबित मामलों की सुनवाई को तेज करने के लिए कुछ उपाय किए गए हैं। जिनके अनुसार, तीन साल से अधिक समय से चल रहे मामलों में राज्यों के संबंधित हाईकोर्ट्स की समीक्षा रिपोर्ट की मांग करें। साथ ही मांग की गई कि राष्ट्रीय राज्य डाटा ग्रिड की तरह एक वेबसाइट बनाई जाए, जहां लंबित मामलों की समय-समय पर जानकारी अपलोड की जाएगी। लंबित मामलों की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक समिति बनाने की मांग की गई है।
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