नक्सली साजिश नाकाम हो गई, विस्फोटकों से भरी गुफा खोजी गई. CRPF ने सात अप्रैल को इंटेलिजेंस रिपोर्ट पर सर्च अभियान शुरू किया था। एफ 208 कोबरा, ई 212 और डी 241 कंपनियां, डुब्बा मरका और बीरम के जंगलों की तरफ सीआरपीएफ कैंप से रवाना हुईं। अभियान काफी कठिन था। सुरक्षा बलों को भी जानकारी मिली कि नक्सली घने जंगल में घात लगाकर हमला कर सकते हैं।
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ToggleChhattisgarh राज्य: PM की रैली से पहले CRPF ने बड़ी सफलता हासिल की
लोकसभा चुनाव से पहले, देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बड़े हमले की साजिश को नाकाम कर दिया है। सीआरपीएफ के जवान सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बस्तर रैली से पहले उस गुफा तक पहुंचे।
सीआरपीएफ के सैनिकों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बस्तर रैली से पहले उस गुफा तक पहुंचने में सफलता मिली, जहां नक्सलियों ने भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री छिपा रखी थी। सीआरपीएफ जवानों ने सुकमा के किस्टाराम थाना क्षेत्र के डुब्बामरका और बीरम के जंगलों में एक गुफा में विस्फोटकों और हथियारों को खोज निकाला, जिनमें बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल), बीजीएल प्रोजेक्टर, जिलेटिन रॉड, इलेक्ट्रोनिक डेटोनेटर और आईईडी बनाने का दूसरा सामान था।
सात अप्रैल को इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर सीआरपीएफ ने आठ किलोमीटर पैदल चलकर गुफा तक सर्च अभियान शुरू किया। एफ 208 कोबरा, ई 212 और डी 241 कंपनियां, डुब्बा मरका और बीरम के जंगलों की तरफ सीआरपीएफ कैंप से रवाना हुईं। सीआरपीएफ के सैनिकों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बस्तर रैली से पहले उस गुफा तक पहुंचने में सफलता मिली, जहां नक्सलियों ने भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री छिपा रखी थी। सीआरपीएफ जवानों ने सुकमा के किस्टारामथाना क्षेत्र के डुब्बामरका और बीरम के जंगलों में एक गुफा में विस्फोटकों और हथियारों को खोज निकाला, जिनमें बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल), बीजीएल प्रोजेक्टर, जिलेटिन रॉड, इलेक्ट्रोनिक डेटोनेटर और आईईडी बनाने का दूसरा सामान था।
सात अप्रैल को इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर सीआरपीएफ ने आठ किलोमीटर पैदल चलकर गुफा तक सर्च अभियान शुरू किया। एफ 208 कोबरा, ई 212 और डी 241 कंपनियां, डुब्बा मरका और बीरम के जंगलों की तरफ सीआरपीएफ कैंप से रवाना हुईं। पकड़े गए हथियारों में बीजीएल लांचर एक, बीजीएल प्रोजेक्टर 22, बीजीएल राउंड 4, बीजीएल राउंड नॉर्मल 57, बीजीएल राउंड स्मॉल 12, बीजीएल कार्टेज 4, बीजीएल नट 7, वायरलेस सेट 5, वायरलेस संट चार्जर 3, वोल्ट मीटर 3, सेफ्टी फ्यूज ग्रीन 10 मीटर, सेफ्टी फ्यूज ब्लैक 5 मीटर, जिलेटिन 200, गन पाउडर 30 kg और नक्सलियों ने देसी बैरल ग्रेनेड लॉन्चर बनाया, जो केंद्रीय सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
इस हथियार को बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) कहा जाता है। अब देशी मॉडल आने के बाद, नक्सली एक दिन में 5 से 10 बीजीएल किसी कैंप पर दागे जाते हैं।पकड़े गए हथियारों में बीजीएल लांचर एक, बीजीएल प्रोजेक्टर 22, बीजीएल राउंड 4, बीजीएल राउंड नॉर्मल 57, बीजीएल राउंड स्मॉल 12, बीजीएल कार्टेज 4, बीजीएल नट 7, वायरलेस सेट 5, वायरलेस संट चार्जर 3, वोल्ट मीटर 3, सेफ्टी फ्यूज ग्रीन 10 मीटर, सेफ्टी फ्यूज ब्लैक 5 मीटर, जिलेटिन 200, गन पाउडर 30 kg और नक्सलियों ने देसी बैरल ग्रेनेड लॉन्चर बनाया, जो केंद्रीय सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
सीआपीएफ पिछले कुछ समय से उन्हें ऐसा मौका नहीं दे रहा है। देसी ‘बीजीएल’ अक्सर भूल जाता है। सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से जो “बीजीएल” बरामद किए हैं, वे स्थानीय स्तर पर बनाए जा रहे हैं। इसे बनाने के लिए लोहे की पतली चद्दर का उपयोग किया जाता है। गत वर्ष भी बीजीएल को छत्तीसगढ़ के बस्तर में हवा भरने वाले पंप से तैयार किया गया था। इस हथियार के प्रत्येक भाग को एक व्यक्ति नहीं बनाता। विभिन्न स्थानों से उनकी मांग की जाती है। BGL के भाग लोहा काटने वाली “आरी” और “चाबी” बनाने के लिए तैयार होते हैं।
गत वर्ष सुकमा के किस्टाराम क्षेत्र में पोटकापल्ली कैम्प पर नक्सलियों ने लगभग डेढ़ दर्जन बीजीएल दागे थे, जो दो सौ मीटर तक मार करते हैं। बीजीएल ने भी धर्माराम कैम्प पर हमला किया था। रक्षा बलों के आयुध भंडार गृह को बीजीएल के माध्यम से निशाना बनाने की कोशिश जारी है। नक्सलियों द्वारा इस हथियार का इस्तेमाल पुराना है। इसका लगभग दस साल से प्रयोग नक्सली कर रहे हैं। तो बीजीएल से कुछ लोग गोली मारते थे। कारण यह था कि तब उनके पास मूल बीजीएल था। बीजीएल सुरक्षा बलों या पुलिस ने उसे छीन लिया होता। उन्होंने इसे स्वयं बनाना शुरू कर दिया है।
बीजीएल के माध्यम से नक्सली लक्ष्य को दो सौ मीटर की दूरी पर मार सकते हैं। रात में बीजीएल से हमला करने के बाद नक्सली भाग जाते हैं। वास्तव में, सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी और अन्य सुरक्षा बलों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र को कम कर दिया है। नक्सलियों पर हर दिन दबाव डाला जाता है। नए कैंप बनाए जा रहे हैं। इससे नक्सली क्रोधित हो गए हैं। उनका लक्ष्य सुरक्षा बलों पर हमलों को बढ़ाना है। दूसरी ओर, सुरक्षा बल अब नक्सलियों को पूरी तरह से समाप्त करने की ओर बढ़ रहे हैं।
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