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भारत रत्न: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को भारत रत्न से सम्मानित करने के निर्णय

भारत रत्न: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को भारत रत्न से सम्मानित करने के निर्णय

भारत रत्न: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को भारत रत्न से सम्मानित करने के निर्णय पर उनके पोते एनवी सुभाष ने केंद्र सरकार की सराहना की है. चौधरी चरण सिंह भी सम्मानित हुए हैं। उनका दावा था कि नरसिंह राव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।

भारत रत्न: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को भारत रत्न से सम्मानित करने के निर्णय

भारत सरकार ने आज पांच विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित किया, जो राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। भारत रत्न, देश का सर्वोच्च सम्मान, राष्ट्रपति मुर्मू ने स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को दिया है।

 

2020 से 2023 तक कोई भी व्यक्ति भारत रत्न नहीं मिला, लेकिन 2024 में केंद्र सरकार ने इन पांचों को चुना। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में चार लोगों को मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान दिया गया, उनमें से एक उप राष्ट्रपति लाल कृष्ण अडवानी था। केंद्र सरकार के निर्णय पर पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव के पोते एनवी सुभाष ने उनकी सराहना की।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “नरसिंह राव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।” उन्होंने आंध्र प्रदेश या केंद्र के लिए कई बार साहसिक कदम उठाया। प्रधानमंत्री बनने पर हालात बहुत खराब थे। गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी ने 2004 से 2014 तक सत्ता में रहते हुए उनके योगदानों को कभी नहीं याद किया।PM मोदी ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करके उनके योगदान को स्मरण किया।”

कौन थे? नरसिंह राव ने आठ बार चुनाव जीते हैं। उनका नाम राजनीति का चाणक्य था। 50 साल कांग्रेस पार्टी में बिताने के बाद वह देश का प्रधानमंत्री बन गया। राव लगभग दस भाषाओं में बोल सकते थे। अनुवाद में वह भी उस्ताद थे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव के बेटे पीवी प्रभाकर राव भारत रत्न लेने पहुंचेंगे।

क्या थे चौधरी चरण सिंह? वे मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में पैदा हुए थे और देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे। 1923 में उन्होंने विज्ञान में स्नातक किया और 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया। 1929 में वह मेरठ वापस आकर कांग्रेस में शामिल हो गए। यह बताया जाना चाहिए कि चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत सिंह भारत रत्न लेने राष्ट्रपति भवन पहुंचेंगे।

चौधरी चरण सिंह के पुत्र ने मीडिया से बातचीत की। “मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूँ।” वहां बैठकर धीरे-धीरे इस क्षण की महत्ता समझने लगो। भारत सरकार ने चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की है। किसानों के हित का मुद्दा पहुंचा है।”

भारत रत्न लाल कृष्ण अडवाणी भी भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री रहे हैं। 1927 में पाकिस्तान के कराची में एक हिंदू सिंधी परिवार में जन्म लिया था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अडवाणी उप-प्रधानमंत्री रहे हैं। 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में गृहमंत्री भी रह चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी की स्थापना करने वालों में लाल कृष्ण अडवाणी भी शामिल हैं।10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान वह विपक्ष का नेता था। 2015 में उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया।

कर्पुरी ठाकुर: बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय की चेतना फैलाने वाला नेता कर्पूरी ठाकुर एक आम नाई परिवार में पैदा हुए थे। माना जाता है कि उन्होंने पूरी जिंदगी कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना राजनीतिक मुकाम हासिल किया। इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान कई प्रयासों के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सका। कर्पुरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में भारत रत्न लेने का अनुरोध करें।

“बहुत अच्छा महसूस हो रहा है,” बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती नमिता कुमारी ने कहा। इस भाव को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। पूरे बिहार के लिए भी यह एक ऐतिहासिक क्षण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरा आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। बिहार के लोगों के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है।”

भारत रत्न भी मिले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथ का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी में 1925 में हुआ था। जब उनके पिता की मौत हो गई, स्वामीनाथन सिर्फ ग्यारह साल के थे। उन्हें पढ़ा-लिखाकर उनके बड़े भाई ने बड़ा किया। 1943 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बंगाल में भारी अकाल पड़ा, जो उन्हें परेशान कर दिया था। यह देखते हुए, 1944 में उन्होंने मद्रास कृषि कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। आलू उनका अध्ययन था। एमएस स्वामीनाथन की निधन पिछले वर्ष 28 सितंबर को चेन्नई में हुई थी। इसलिए उनकी बेटी नित्या राव ने भारत रत्न लेने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचा।

काम के लिए स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) शामिल हैं। एमएस स्वामीनाथन की निधन पिछले वर्ष 28 सितंबर को चेन्नई में हुई थी।

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