SC :15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट नए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुनवाई करेगा।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दाखिल की गई। केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि चुनाव आयुक्त (सेवा की शर्तें और व्यवसाय का संचालन) अधिनियम, 2023 के तहत चुनाव आयुक्त की नियुक्ति नहीं होगी।
नए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 मार्च को रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी दिन निर्वाचन आयोग में दो रिक्त चुनाव आयुक्त पदों को भरने के लिए बैठक करेंगे।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दाखिल की गई। केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि चुनाव आयुक्त (सेवा की शर्तें और व्यवसाय का संचालन) अधिनियम, 2023 के तहत चुनाव आयुक्त की नियुक्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का विचार किया जाएगा।
यह याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद की गई है। चुनाव आयोग में अभी दो आयुक्त पद खाली हैं। निर्वाचन आयोग में इकलौती सदस्य सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं।इससे पहले, फरवरी में अनूप पांडे चुनाव आयुक्त पद से रिटायर हुए।
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Toggleयाचिका में क्या मांग है?
जया ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नोटिस जारी किया। उस समय चुनाव आयोग का एक सदस्य अरुण गोयल इस्तीफा दे गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव जल्द हो सकते हैं। इसलिए चुनाव आयुक्तों को भी तुरंत नियुक्त करना चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को नियुक्ति के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की जरूरत है।
नए कानून में क्या है?
शुक्रवार को एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई, जो मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों को नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि के संबंध में नियमों को समझाता था। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में एक चयन समिति का गठन किया गया है।
खंड 10 को मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्त के वेतन के संबंध में संशोधित किया गया है। नवीन कानून के अनुसार, आयुक्तों का वेतन अभी सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर है, लेकिन अब कैबिनेट सचिव के बराबर है।लेकिन नवीन अधिनियम के अनुसार, आयुक्तों का वेतन कैबिनेट सचिव के बराबर हो गया। यद्यपि भत्तों और अन्य सुविधाओं में काफी अंतर है, कैबिनेट सचिव का वेतन जजों के बराबर है।
चुनाव आयुक्तों को कानूनी सुरक्षा से संबंधित खंड 15(A) को सेवा शर्तों में बदलाव के साथ जोड़ा गया है। खंड-15 में आयुक्तों के यात्रा भत्ते, चिकित्सा, एलटीसी और अन्य सुविधाओं का उल्लेख है, जबकि खंड 15(A) कहता है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त के निर्णय को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर चुनाव आयुक्त को हटाया जा सकता है
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित खंड में बदलाव किया गया है, जिसमें आयुक्तों के सर्च पैनल का आकार निर्धारित किया गया है। संशोधन के बाद, आयुक्त की नियुक्ति से पहले पांच लोगों का पैनल देश के कानून मंत्री और भारत सरकार में सचिव स्तर के दो अधिकारी बनाएंगे। यह पैनल अगला आयुक्त चुनेगा। खंड 11 में चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया बताई गई है। सुप्रीम कोर्ट के जज की प्रक्रिया से ही मुख्य आयुक्त को हटाया जा सकता है, जबकि चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है।
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