Search
Close this search box.

हिंदू विवाह रिवाज हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह संस्कार पर लगाई फटका {13-03-2024}

हिंदू विवाह रिवाज हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह संस्कार पर लगाई फटका

हिंदू विवाह रिवाज हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह संस्कार पर लगाई फटका, दस रुपये की एकतरफा घोषणा शादी को खत्म नहीं कर सकती। दस रुपये के स्टांप पर निष्पादित घोषणा इससे अलग नहीं है। श्रावस्ती के कथावाचक पति की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। भरण पोषण के आदेश को पति ने चुनौती दी थी।

हिंदू विवाह रिवाज हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह संस्कार पर लगाई फटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह संस्कार है। दस रुपये के स्टांप पर जारी किए गए एकतरफा घोषणा पत्र के आधार पर इसे तोड़ नहीं सकते। इसके लिए हिंदू विवाह अधिनियम में बताए गए प्रावधानों का पालन करना आवश्यक है।

कथावाचक पति विनोद कुमार उर्फ संतराम की ओर से पारिवारिक न्यायालय द्वारा 14 साल से अलग रह रही पत्नी को भरण पोषण देने के आदेश के खिलाफ दाखिल पुनरीक्षण याचिका को न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने खारिज कर दिया।

इस मामले में श्रावस्ती जिला शामिल है। पारिवारिक न्यायालय ने याची पति को प्रतिवादी पत्नी को मासिक 2200 रुपये भरण पोषण देने का आदेश दिया। पति ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि प्रतिवादी पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय में दाखिल भरण पोषण की अर्जी में 2005 में विवाह को समाज के सामने 2005 में विच्छेद कर दिया था. इलाकाई रीति रिवाज के अनुसार, पत्नी ने यह तथ्य छुपाया था।

2008 में उसने एक औरत से शादी कर ली, जिसके तीन बेटे हैं। उसने 14 साल बाद दाखिल की गई शिकायत में यह भी नहीं बताया कि उसने बिना कारण पति से 14 साल अलग रहने के दौरान किस तरह से अपना जीवन यापन किया।

पारिवारिक न्यायालय में हुई जिरह में पति ने बताया कि उसके तीन विवाह हो चुके हैं। बाल विवाह था। 2002 में बाल विवाह का मुकदमा समाप्त हो गया था। 2005 में दूसरी पत्नी से रिश्ता टुट गया। 2008 में तीसरी शादी की।

पति का दावा पूरी तरह से खारिज

पति की सभी दलीलों को हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने निर्णय दिया कि हिंदू विवाह एक संस्कार है। दस रुपये के स्टांप पर निष्पादित एकपक्षीय घोषणा पत्र इसे तोड़ नहीं सकता। याची और प्रतिवादी का विवाह इस समय भंग नहीं माना जा सकता।

प्रतिवादी के अलग रहने का सबसे बड़ा कारण विधिक विवाह विच्छेद के एक अन्य महिला के साथ रहना होगा और उससे तीन संतानों का होना होगा। याची द्वारा बताए गए बाल विवाह और मुकदमे की घटना का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं होने के कारण प्रतिवादी उसकी दूसरी पत्नी नहीं हो सकती

यह भी पढ़े:-

सीएए कानून
IUUML ने सीएए के खिलाफ अपनी पहली रिट याचिका में कहा कि कोई कानून संवैधानिक नहीं होगा जब तक वह स्पष्ट रूप से मनमाना नहीं होता। पुरा पढ़े

Spread the love
What does "money" mean to you?
  • Add your answer
Scroll to Top