Haryana राज्य: खट्टर ने चुनाव से पहले शाह की रणनीति पर चला ‘जाट-गैर जाट’ दांव, जो JJP की हार से लाभ उठाएगा भाजपा प्रदेश की राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि जजपा और भाजपा पिछले वर्ष से ही संघर्ष कर रहे हैं। भाजपा ने जजपा को दो टूक शब्दों में बताया कि वह सभी दस लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दिल्ली में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अपने विधायकों की एक बैठक बुलाई है..।
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मंगलवार को हरियाणा की राजनीति में बड़ी हलचल देखने को मिली है, जब लोकसभा चुनाव की दहलीज पर है। 2019 से प्रदेश में भाजपा और जजपा का गठबंधन टूट गया है। सीएम मनोहर लाल खट्टर और उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया।भाजपा ने भी विधायक मंडल की बैठक बुलाई है।
इतना ही नहीं, जजपा के विधायकों में व्यापक क्षति हो सकती है। हरियाणा में नया खट्टर मंत्रिमंडल बन सकता है। प्रदेश की राजनीतिज्ञों का कहना है कि जजपा और भाजपा पिछले वर्ष से ही संघर्ष कर रहे हैं। भाजपा ने जजपा को दो टूक शब्दों में बताया कि वह सभी दस लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दिल्ली में प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अपने विधायकों की एक बैठक बुलाई है।
सूत्रों का दावा है कि जजपा के दस विधायकों में से जोगीराम सिहाग, राम कुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामनिवास और देवेंद्र बबली दिल्ली की बैठक से भाग सकते हैं। भाजपा से तरुण चौक और अर्जुन मुंडा भी चंडीगढ़ में पर्यवेक्षक हैं।रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे, हिसार लोकसभा सीट से भाजपा सांसद ब्रजेंद्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गया। उनके पिता चौ. बीरेंद्र सिंह ने कई दशक तक कांग्रेस में रहते हुए काम किया था। ब्रजेंद्र सिंह ने पाला बदलने के तीन बड़े कारण बताए।
पहले, वे इस बार खुद की टिकट पर भरोसा नहीं करते थे। दूसरा, उचाना कलां विधानसभा सीट, जहां 2019 में दुष्यंत चौटाला ने ब्रजेंद्र सिंह की मां प्रेमलता को हराया था, इस बार चौधरी परिवार को दावेदारी की गारंटी नहीं मिली।तीसरा, चौ. बीरेंद्र सिंह आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और जजपा गठबंधन के खिलाफ थे। अक्तूबर 2023 में उन्होंने कहा था कि वे पार्टी छोड़ देंगे अगर भाजपा-जजपा गठबंधन जारी रहा।
समाचार पत्रों के अनुसार, जजपा ने लोकसभा चुनाव में दो सीट की मांग की थी। भाजपा ने किसी भी सीट को नहीं दिया। भाजपा स्वयं सभी दस सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव ही दहलीज पर सीएम मनोहर लाल खट्टर को बदलने का जोखिम नहीं उठाने का संकेत दिया है। खट्टर को फिर से सरकार बनाने की संभावना है।
भाजपा और जजपा का गठबंधन टूटना जाट और गैर जाट वोटों के कारण हैगैर जाटों ने भाजपा को सत्ता में लाया था। वर्तमान परिस्थितियों में जाट वोट बैंक पूरी तरह से कांग्रेस के साथ जा रहा था। ऐसे में जाट वोट बैंक को तोड़ना मुश्किल होगा अगर जजपा और भाजपा एक साथ रहते हैं।
भाजपा इससे प्रभावित हो सकता था। भाजपा से प्रदेश के जाट मतदाताओं की नाराज़गी जाहिर है। भाजपा खुद चुनाव लड़ने पर गैर जाटों का व्यापक समर्थन पा सकती है। जाट मतदाताओं को कांग्रेस, जजपा और इनेलो में विभाजन होगा। भाजपा इससे सीधे लाभ उठा सकती है।यही कारण है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने जजपा से गठबंधन समाप्त करने की घोषणा की है।
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