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Toggleबिलकिस बानो मामला: SC का फैसला
गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को माफ कर दिया था। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना फैसला चुनौती दी। गुजरात सरकार का निर्णय आज सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है।गुजरात सरकार के निर्णय को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफी को रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य दोषियों को माफी देने का निर्णय कर सकता है जहां मुकदमा चला और सजा सुनाई गई है। प्रधान न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार दोषियों को माफी देने का निर्णय नहीं ले सकती, बल्कि महाराष्ट्र सरकार करेगी। बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा करने का निर्णय बल का दुरुपयोग था। गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को माफ कर दिया था। गुजरात सरकार ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर आज न्यायालय ने फैसला सुनाया। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने 12 अक्तूबर 2023 को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत 2022 में बिलकिस बानो और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने माफ कर दिया और उन्हें जेल से रिहा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अब दोषियों को फिर से जेल में डाल देगा। 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने इन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सहमति दी थी। दोषी को उम्रकैद की सजा मिलने पर मात्र चौबीस साल जेल में बिताना होगा।
इसके बाद अपराध की गंभीरता, जेल में व्यवहार और अन्य कारकों को देखते हुए सजा को कम करने या रिहाई पर विचार किया जाता है। उसके बाद, अपराध की गंभीरता, जेल में व्यवहार और अन्य कारकों को देखते हुए सजा को कम करने या रिहाई पर विचार किया जा सकता है। बिलकिस बानो ने गैंगरेप का दोषी ठहराया गया है और 15 साल जेल में बिता चुके हैं। दोषियों ने सजा में रियायत की मांग की थी। गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन ग्यारह दोषियों को जेल से छुट्टी दी।
30 नवंबर 2022 को गुजरात सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं। दोषियों को पहली याचिका में रिहाई से इनकार करते हुए वापस जेल भेजने की मांग की गई। वहीं दूसरी याचिका में मई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई।जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार दोषियों की रिहाई का निर्णय लेगी।
केंद्र और गुजरात सरकार ने याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोषियों की रिहाई के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि दोषियों ने दुर्लभतम अपराध नहीं किया है और उन्हें सुधार का मौका मिलना चाहिए। कोर्ट ने पूछा कि सिर्फ बिलकिस बानो के दोषियों को रिहाई का लाभ क्यों दिया गया?
शेष कैदियों को ऐसी अनुमति क्यों नहीं दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? दोषियों के वकील ने इस पर विचार किया कि दोषियों को माफी मांगने का दोषियों के अधिवक्ता ने इस पर विचार किया कि दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार नहीं है। 2002 में गुजरात में हुए दंगों में बिलकिस बानो के घर में उग्र भीड़ ने घुसकर सात लोगों को मार डाला था। बिलकिस बानो इस दौरान बलात्कार का शिकार हुआ।
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