प्रवर्तन निदेशालय और अन्य कई संस्थाओं ने भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की थी। दोनों नेताओं को एजेंसियों से बार-बार फोन किया गया था, और हर बार वे उनके कार्यालयों में गए और अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस के दोनों प्रमुख नेताओं ने जांच एजेंसी के सामने पेश होने से कभी इनकार नहीं किया…।
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Toggleप्रवर्तन निदेशालय और अरविंद केजरीवाल के बीच एक निरंतर बहस
प्रवर्तन निदेशालय और अरविंद केजरीवाल के बीच एक निरंतर बहस चल रही है। अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने तीन बार पूछताछ की मांग की है, लेकिन वे विभिन्न कारणों से बचते रहे हैं। आप और भाजपा के कई आरोपों के बीच एक और सवाल उठने लगा आखिर अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय की जांच से बचने के लिए कई प्रयास क्यों कर रहे हैं?
प्रवर्तन निदेशालय सहित कई एजेंसियों ने पहले भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की थी। दोनों नेताओं को एजेंसियों से बार-बार फोन किया गया, लेकिन वे हर बार उनके कार्यालयों में जाकर जवाब दिया। कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं ने कभी जांच एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार नहीं किया। कांग्रेस ने पूछताछ के दिन सड़कों पर प्रदर्शन भी किया, पार्टी ने पूछताछ के दिन सड़कों पर भी प्रदर्शन किया, लेकिन दोनों नेताओं ने इसके बाद भी जांच से भागने का कोई प्रयास नहीं किया। जांच एजेंसियों ने उनसे कठोर प्रश्न पूछे।
प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से भी पूछताछ की गई, लेकिन उन्होंने जांच से बचने की कोशिश कभी नहीं की। वे निर्धारित समय पर जांच संस्थान के कार्यालय पहुंचे। आठ से आठ घंटे तक लिखकर संस्था के प्रश्नों का उत्तर दिया। और वापस आते समय एजेंसियों को भरोसा दिलाया कि वे जांच-पूछताछ के लिए तत्पर रहेंगे जब चाहें।
केजरीवाल ने बच गया क्यों?
लेकिन अरविंद केजरीवाल लगातार ईडी के सामने जाने से बच रहे हैं, जो कांग्रेस नेताओं से अलग है। यही कारण है कि केजरीवाल ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या उन्हें पूरा विश्वास है कि उन्हें शराब घोटाले में शामिल करने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है? अगर ऐसा है तो वे आखिर कब तक जांच से बच सकते हैं?
यह भी महत्वपूर्ण है कि आम आदमी पार्टी ने अब तक केजरीवाल को जांच के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय नहीं बुलाया है। राजनीतिक हस्तक्षेप के आधार पर प्रताड़ित होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय में जांच से बचने की अपील भी कर सकते थे, लेकिन वे अब तक ऐसा नहीं किया है। क्या वजह हो सकती है?
परीक्षण पूरा होने के बाद ही मामले की सच्चाई स्पष्ट होगी, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से राजनीतिक गलियारों में केजरीवाल को नियमों में बदलाव करके शराब घोटाले में अनियमितता का पूरा ज्ञान है। राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रहे केजरीवाल जानते हैं कि संजय सिंह और मनीष सिसोदिया भी जल्द ही गिरफ्तार किए जाएंगे, जिस तरह और जिन तथ्यों के आधार पर गिरफ्तार किए गए हैं।
न्यायालय में क्यों नहीं गए?
केजरीवाल: सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार दुबे ने अमर उजाला को बताया कि सभी जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल के बिना दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी ने कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय को अदालत में केजरीवाल को पूरे घोटाले का अंतिम लाभार्थी बताना आसान होगा। ऐसी स्थिति में उनकी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
आम आदमी पार्टी ने पहले भी मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के मामले में जांच से बचने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उनकी दलील को नहीं माना। अरविंद केजरीवाल अब तक अदालत नहीं गए हैं, शायद इसलिए कि वे जानते हैं कि जांच-पूछताछ से बचने की उनकी कोई कोशिश असफल होगी।
इस पूरे प्रकरण में दो राजनीतिक लाभ
अगर इस मामले में अरविंद भाजपा को इस मामले में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी भी दिल्ली में मजबूत हो सकती है अगर अरविंद केजरीवाल कमजोर होते हैं। साथ ही, केजरीवाल ने गुजरात और गोवा के विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत की है, जिससे भाजपा को लोकसभा चुनावों में सीधा नुकसान हो सकता है।
क्या केजरीवाल सफल हो जाएंगे?
हालाँकि, इस मुद्दे का एक पक्ष यह भी है कि अगर अरविंद केजरीवाल इसे एक राजनीतिक मुद्दा बनाने में सफल होते हैं, इसलिए वे एक बार फिर हीरो बन सकते हैं। उन्हें लोकसभा चुनाव और आगामी चुनावों में इसका फायदा मिल सकता है। जिस तरह से केजरीवाल एजेंसियों पर आरोप लगा रहे हैं, ऐसा लगता है कि उनका लक्ष्य है कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दें। इसके बावजूद, इस मामले की गम्भीरता के कारण ऐसा करना मुश्किल है।
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