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Toggleरामलला की संघर्षपूर्ण यात्रा: सर्दी, गर्मी, और बारिश के टेंट में तीन दशक
एक प्रमुख अर्चक की जुबानी: रामलला ने तीन दशक तक टेंट में रहकर हर मौसम, गर्मी और बारिश का सामना किया। प्रमुख अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने तीस साल की कहानी सुनाई। उनका दावा था कि बरसात के समय टेंट से पानी गिरता था। वह गर्मियों में भी पंखे का उपयोग नहीं कर सकते थे।
21 दिन बाद रामलला भव्य मंदिर में विराजेंगे। रामलला के प्रमुख अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है क्योंकि करोड़ों भक्तों की सदियों की प्रतीक्षा आज पूरी हो जाएगी। सत्येन्द्र दास रामलला के टेंटवास से लेकर वे भव्य मंदिर में विराजित होने की यात्रा पर हैं।उन्होंने रामलला के निराले ठाठ-बांट के भी गवाह हैं, जब वे सर्दियों, गर्मियों और बारिश की मार झेलते थे। पिछले ३२ वर्षों से सत्येंद्र दास रामलला की पूजा करते आ रहे हैं। 1992 में बाबरी विध्वंस से 9 महीने पहले रामलला की पूजा के लिए उनका चयन हुआ था।
सत्येंद्र दास 1992 में बाबरी विध्वंस के समय वहीं थे। सत्येन्द्र दास ने बताया कि विध्वंस सुबह 11 बजे हुआ था। इसके बाद रामलला टेंट में पहुंचे। करोड़ों रामभक्तों की व्यथा तिरपाल का गर्भगृह रही है।
27 वर्षों तक रामलला टेंट में धूप, सर्दी, गर्मी और बारिश का सामना करते रहे। टेंट बरसात में बह गया। वह गर्मियों में पंखे का ही इस्तेमाल करता था। वहाँ कूलर और एयर कंडीशनर नहीं थे। टेंट तेज धूप में तपता था, धूल की गंदगी पर जम जाती थी।
पूरे वर्ष में केवल रामनवमी पर रामलला के लिए नवीन कपड़े बनाए जाते थे। पर्व व त्योहार केवल परंपरा का संरक्षण करते थे। मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला को जब भी कोई कुछ नया मांगता था, रिसीवर कहते थे कि बिना कोर्ट की अनुमति के कुछ भी नहीं मिल सकता था।रामलला की यह स्थिति श्रद्धालुओं को बहुत भक्त चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि कानून उन्हें रोकता था। मैं रामलला के सामने रोकर प्रार्थना करता था। रामलला की कृपा से अब काले बादल छंट गए हैं और रामनगर में सौभाग्य का नया सूर्य उग रहा है। रामलला को भव्य मंदिर में विराजित देखने की भावना शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।
टेंट में रामलला को 50 फीट दूर से देखा जा सकता था, लकड़ी के सिंहासन पर विराजते हुए। साल में एक बार नए कपड़े बनाए जाते थे, जो ठंडक में कंबल के सहारे रहते थे। अब अस्थायी मंदिर में रामलला 20 फीट ऊँचा है, क्योंकि गर्मियों में केवल टेबल फैन और 56 भोग लगते हैं।
परंपरा का पुनरुद्धार
पहले पर्व अस्थायी मंदिर में रामलला को 20 फीट दूर से देखा जा सकता था. अब रामलला चांदी के सिंहासन पर बैठा है और हर दिन नए कपड़े पहनते हैं. अब हर उत्सव, त्योहार पर 56 भोग लगते हैं और एसी, कूलर और पंखों की व्यवस्था है।
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