Search
Close this search box.

हरियाणा राज्य: गायों में चिचड़ी रोग से बचाव में कैसे हो रहा है अद्वितीय योजना? जानें इस रिसर्च से! {15-12-2023}

हरियाणा में दुधारू पशुओं में चिचड़ी रोग: जीटी बेल्ट के जिलों में अधिक संक्रमण क्यों हो रहा है

Haryana राज्य: चिचड़ी रोग से पीड़ित गाय; शोध में थिलेरियोसिस का अधिक असर इन जिलों पर हुआ:-

हरियाणा में दुधारू पशुओं में चिचड़ी रोग: जीटी बेल्ट के जिलों में अधिक संक्रमण क्यों हो रहा है

नमूनों पर शोध करने के बाद महिला वैज्ञानिक डॉ. वंदना भनोट ने पाया कि गायों में कई प्रकार के चिचड़ी रोग होते हैं। इस क्षेत्र में सबसे अधिक थिलेरियोसिस है। वहीं अध्ययन ने पाया कि गाय गर्मी और बारिश में सबसे अधिक संक्रमित होती हैं।
हरियाणा में दुधारू पशुओं में चिचड़ी रोग आम है। हरियाणा और पंजाब से लगती जीटी बेल्ट के जिलों में अधिक नमी है। यही कारण है कि यहां गायों में यह बीमारी अधिक होती है। अंबाला शहर में लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के अधीनस्थ पशु रोग जांच प्रयोगशाला इन क्षेत्रों से अधिकांश पशुओं के रक्त के नमूने आते हैं।

 

इन नमूनों पर शोध करने के बाद, महिला वैज्ञानिक डॉ. वंदना भनोट ने पाया कि गायों में कई प्रकार के चिचड़ी रोग होते हैं। इस क्षेत्र में सबसे अधिक थिलेरियोसिस है। वहीं अध्ययन ने पाया कि गाय गर्मी और बारिश में सबसे अधिक संक्रमित होती हैं। पशुओं में चिचड़ी बुखार होने पर उनकी सही जांच नहीं होती, तो वे एनीमिया से ग्रस्त हो जाते हैं और उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है।

डॉ. वंदना बताती हैं कि हर मच्छर के काटने से डेंगू या मलेरिया नहीं फैलता, इसी प्रकार हर टिक संक्रमित होने पर बुखार होता है।चिचड़ी काटने से बुखार नहीं फैलता। उन्हें अपने अध्ययन में पता चला कि टिक, जो पहले से इस परजीवी से संक्रमित थे, चिचड़ी रोग से संक्रमित होने का सबसे बड़ा कारण हैं। यह टिक थिलेरियोसिस को बढ़ाता है और कई गायों को काटता है। इसलिए जीटी बेल्ट और पंजाब की सीमा से लगते जिलों में इसके मामले अधिक देखे गए।

इस शोध का क्या लाभ होगा?

पशु को चिचड़ी रोग होने पर उसका सीधा उपचार पहले क्षेत्र में किया गया था। पशुपालक अभी भी पशु के रक्त की जांच नहीं कराते हैं। पशु के रक्त की जांच से पता चलता है कि उसमें किस प्रकार का परजीवी है। इसलिए, उसी परजीवी पशु का उपचार किया जाए तो बहुत जल्दी ठीक हो जाएगा। इस जांच से पशु चिकित्सक भी दवाओं का चयन कर सकते हैं। डॉ. वंदना कहते हैं कि पशुपालकों को चिचड़ी नाशक दवा अवश्य देनी चाहिए। गायों को बुखार, कम चारा खाना या दूध उत्पादन में कमी होने पर तुरंत खून के नमूनों की जांच करवाएं।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पुरस्कार लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार में सात व आठ दिसंबर को हुआ था. कुलपति डॉ. विनोद वर्मा ने इस सम्मेलन का नेतृत्व किया था। डॉ. वंदना भनोट ने थनेरा रोग और चिचड़ी बुखार के कई प्रकार पर पाेस्टर और शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसके लिए सम्मानित किया गया

यह भी पढ़े:-

दिल्ली के बाद हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि:-

दिल्ली के बाद हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि

NCBR रिपोर्ट: महिलाओं पर अत्याचार में दिल्ली के बाद हरियाणा दूसरे नंबर पर है, जिसमें बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है।

खबर को पुरा पढ़ने के लिए click करे:-rashtriyabharatmanisamachar

 

 

Read More

0
Default choosing

Did you like our plugin?

READ MORE