केंद्रीय सरकार का 1.41 करोड़ रुपये का अनुदान: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय को मिलेगी पराली प्रबंधन में सहायता:-
Haryana राज्य: केंद्रीय सरकार ने हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय को पराली प्रबंधन पर शोध के लिए 1.41 करोड़ रुपये का अनुदान दिया, जो अब हकेंवि में तैयार होगा Bioethanol। आगामी पांच साल तक, पर्यावरण अध्ययन विभाग से लगभग पच्चीस विद्यार्थी और शोधार्थी इसमें शोध करेंगे।
अब विद्यार्थी हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि) के पर्यावरण अध्ययन विभाग में पराली से बायो एथेनॉल बनाने की कला सीख सकेंगे। केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने हकेंवि को 1.41 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है।
2025 तक 20 प्रतिशत बायो एथेनॉल ईंधन में मिलाने की योजना:-
विज्ञान और तकनीक के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय केंद्र सरकार (DST-FSI) से अनुदान प्राप्त हुआ है। अनुसंधान परियोजना के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी अवसंरचना (DST-FSI) में सुधार का अध्ययन इसके माध्यम से किया जाएगा। यह खोज वर्ष 2024 से शुरू होगी। इसके माध्यम से पराली से भी किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
वर्तमान में पराली एक बड़ी समस्या बन गई है:-
इस राशि से हकेंवि की तीन लैब में अत्याधुनिक उपकरण खरीदेंगे। इससे पराली प्रबंधन के अध्ययन में सहायता मिलेगी। पालतू जानवरों पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। आगामी पांच साल तक, पर्यावरण अध्ययन विभाग में लगभग पचास विद्यार्थी और शोधार्थी अध्ययन करेंगे।
पर्यावरण अध्ययन विभाग का प्रमुख डॉ। मोना शर्मा ने बताया कि इस अनुदान से नवीनतम लैब बनाएंगे। एचपीएलसी, एलिमेंटल एनालाइजर, जल शोधन प्रणाली, जीसीएमएस, माइक्रोवेव डाइजेस्टर और कैमरे के साथ माइक्रोस्कोप सहित औद्योगिक पर्यावरण क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे छात्रों और संकाय सदस्यों को वैज्ञानिक संस्थानों की ओर देखना पड़ा।
विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया और स्क्रीनिंग के बाद पहले भाषण दिया। हकेंवि ने गीतम विश्वविद्यालय विशाखापत्तनम में विशेषज्ञ समिति के सामने इस बजट को स्वीकार करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। अनुसंधान सुविधाओं से विभाग को मजबूत करने के लिए बजट स्वीकृत किया गया है। प्रगतिशील को पहले से ही मौद्रिक सहायता मिलने वाली है विश्वविद्यालयों और विभागों में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के संकाय सदस्यों और अनुसंधानकर्ताओं को अनुसंधान करने का अवसर मिलेगा।
इस प्रकार शोध किया जाएगा:-
विभाग अध्यक्ष डॉ. मोना शर्मा ने बताया कि इन उपकरणों की सहायता से पराली और अन्य कचरा को बायो एथेनॉल में बदल दिया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान निम्नलिखित मात्रा में बायोचार मिलेगा, जो खेतों में खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रक्रिया पराली प्रबंधन को मजबूत करेगी और किसानों को भी बहुत फायदा होगा। साथ ही, 2025 तक एथेनॉल को ईंधन (फ्यूल) में मिलाने की योजना है। इससे प्रदूषण का स्तर कम होना और इसकी गुणवत्ता में सुधार जैसे मानव स्वास्थ्य में लाभकारी परिणाम मिलेंगे।
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