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Toggleपत्रकारिता: क्या भाजपा-कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव को देखकर राज्यों में मुख्यमंत्री चुनेंगे?
Khabar Ke Khiladi: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनावों के परिणामों को घोषित करने में अब बस कुछ घंटे शेष हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि अगर इन राज्यों में किसी भी राजनीतिक दल की जीत होती है, तो वह मुख्यमंत्री के पद पर किसे चुनेगी?
इस बार भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोई मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया। कांग्रेस के चेहरे हैं, लेकिन उसका नेतृत्व कुछ अनिश्चित लगता है। नतीजे जो भी हों, बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा और कांग्रेस अपने पुराने लोगों को बचाएगी या नए लोगों को लाएगी। इस बार, “खबरों के खिलाड़ी” इन चेहरों पर बहस हुई। रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, अवधेश कुमार, प्रेम कुमार और समीर चौगांवकर ने चर्चा की।
नतीजे आने पर राजस्थान और मध्य प्रदेश में कौन-से नाम मजबूत लग रहे हैं?
अविनाश कुमार: कांग्रेस मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में अस्पष्ट है। टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में बहुत मजबूत हैं, लेकिन अगर कांग्रेस जीतती है तो वह भूपेश बघेल को हटा नहीं सकेगा। अशोक गहलोत ने राजस्थान में मेरे लिए वोट देने की निरंतर कोशिश की। उनके लिए संकेत अच्छे नहीं हैं। गहलोत के नेताओं ने इस्तीफे देने की घोषणा की जब मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन पार्टी अध्यक्ष पद के लिए उन्हें मना रहे थे। अगर राजस्थान की जनता कांग्रेस को वोट देने से गहलोत को वोट मिलेगा। भाजपा ने तीनों राज्यों में अपने नेताओं को नहीं बताया है। भाजपा ने 2024 में हिंदुत्व, सामाजिक समीकरण और नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए एक चेहरा बनाया होगा।
क्या राजस्थान में जीत के बाद कांग्रेस की छवि बदल जाएगी?
प्रेमिका: 25 सितंबर को अशोक गहलोत के तेवर बदल गए हैं। यद्यपि गहलोत ने खुद कोशिश की है, लेकिन आलाकमान उनके खिलाफ चुनाव लड़ने से बच गया है। गहलोत और आलाकमान के बीच शीतयुद्ध तो जारी रहेगा। सचिन पायलट ने खुद को धीरज रखने की आवश्यकता बताई है। एक बात उनके हित में है। राजस्थान में कई मंत्री चुनाव में पराजित होते हैं इसलिए आलाकमान और कांग्रेस मजबूत होंगे। टिकट बाँटने में सब कुछ गया है। गहलोत और पायलट दोनों ने ध्यान दिया है। गहलोत की स्थिति निश्चित रूप से थोड़ी कमजोर हुई है। 2024 में कांग्रेस को राजनीतिक निर्णय लेना होगा। पायलटों को डिप्टी सीएम या राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण पद मिल सकता है।
वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान का वर्तमान दृष्टिकोण क्या है?
समीर चौधरी: दोनों नेताओं को भाजपा ने सीएम प्रत्याशी नहीं बनाया था। भाजपा को मध्य प्रदेश में प्रचंड बहुमत मिलने से उसका चेहरा बदल सकता है। शिवराज बने रह सकते हैं क्योंकि जीत आसान नहीं रही। शिवराज मध्य प्रदेश में संघ के साथ है। राजस्थान में संघ वसुंधरा राजे के साथ नहीं है। राजस्थान राज्य भाजपा की बड़ी या छोटी जीत पर भी वसुंधरा राजे क्या राजस्थान की मुख्यमंत्री बन पाएंगी, यह कहना मुश्किल है। मोदी चाहते हैं कि 2024 में कोई अप्रिय परिस्थिति नहीं होगी। 2024 में भाजपा की राजनीति में जो फिट बैठेगा, वही नेतृत्व करेगा।
रामकृपाल सिंह: सीएस-टू-डीएस नेतृत्व की परिभाषा है। यानी करंट स्ट्रेंग्थ को डिजायर्ड स्ट्रेंग्थ में बदलना। नेतृत्व का पहला काम है अपने जैसे दस नेता बनाना। व्यक्तिगत सफलताएं संस्थान की कमजोरी नहीं बननी चाहिए। उसमें कोई पार्टी, कारोबार या कॉर्पोरेट नहीं है। सोने पर सुहागा हो जाता है अगर वह किसी अच्छे व्यक्ति से मिलता है। सुहागे सो नहीं सकते। अटलजी के शासनकाल में मोदी भी चर्चा में रहे न थे। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्यों में जो नेतृत्व सामने आया है, उसे देखें। पहले स्थापित चेहरा कौन था? व्यक्ति पहले ब्रांड होना चाहिए।
विनोद कुमार अग्निहोत्री: अवतार पूजा दुनिया भर में लोकप्रिय है। अमेरिका, चीन, रूस और जर्मनी देखें। चेहरे वहां की राजनीति में हावी रहे हैं। राजनीतिक नामों की बात करें तो मोदी की सहायता के बिना भाजपा में अब कौन सा नाम विजयी हो सकता है, सिवाय योगी आदित्यनाथ? ऐसा अटलजी ने नहीं किया था।
अटलजी ने वसुंधरा राजे को शिवराज सिंह चौहान बनाया था। दोनों चेहरे आज भी जीवित हैं। भाजपा ने अचानक एक व्यक्ति को नेतृत्व दिया है। इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में ऐसा जमाने में होता था। 2024 के चुनावों के बाद राज्यों में वास्तविक बदलाव देखने को मिलेगा। भाजपा मध्य प्रदेश में किसी भी व्यक्ति को आजमा सकती है। कांग्रेस राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को बदलने का खतरा नहीं ले सकती। वह लोटस ऑपरेशन का शिकार नहीं होना चाहेगी। यदि कांग्रेस छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विजय प्राप्त करती है, तो भाजपा वहां शिवराज को हटाने की हिम्मत नहीं कर पाएगी।
चुनाव नतीजों के बाद विश्लेषण किन चेहरों पर प्रकाश डालेगा?
अविनाश कुमार: प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि मेरा नाम गारंटी है। नरेंद्र मोदी, भले ही चुनाव पार्टी का है, सबसे ऊपर है। बीजेपी भाजपा के केंद्र में एक नेता है, लेकिन राज्य में बहुत से हैं। भाजपा आज भी इसी तरह है। भाजपा ने इसलिए सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में टिकट दिया है। शिवराज को केंद्रीय नेतृत्व ने हटाया नहीं है। राजस्थान भी वसुंधरा को पूरी तरह से नहीं भूला है। भाजपा को पर्याप्त बहुमत मिलने पर मोदी की जीत पक्की होगी, लेकिन सभी का योगदान माना जाएगा। विपक्ष की चुनौतियों का सामना करते हुए मोदी, शाह और आरएसएस की विचारधारा को कौन-सा चेहरा प्रोत्साहित कर पाएगा, यह निर्णय होगा।
रामकृपाल सिंह: मोदी जी 2029 के बाद प्रधानमंत्री रहेंगे? इसलिए काम, संगठन या पार्टी अधिक महत्वपूर्ण है। जिस व्यक्ति ने राज्य में उसने काम किया होगा, इसलिए वह विजेता होगा। विद्रोह और प्रतिरोध अलग-अलग हैं। विरोध रहेगा, लेकिन बदलाव करने की हद तक? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। प्रतिरोध विद्रोह नहीं है।
क्या प्रियंका गांधी कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण चेहरा बनने वाली हैं?
प्रेमिका: मूर्तियों में जीवन की प्रतिष्ठा होनी चाहिए। जनता ने नेताओं को प्राण-प्रतिष्ठा दी है। यद्यपि स्वामी विवेकानंद को कोई सत्ता नहीं थी, लोगों ने उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की। प्रियंका गांधी या राहुल गांधी ने सत्ता की इच्छा नहीं दिखाई है। उन्हें सत्ता से दूर रखते हुए नेहरू-इंदिरा की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
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