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Toggleएग फ्रीजिंग: दिल्ली-एनसीआर में रुझान और चुनौतियां:-
Delhi: नवीन दौर और नवीन दस्तूर..। दिल्ली-एनसीआर में एग फ्रीजिंग के बढ़ते चलन के कई कारण हैं
पश्चिमी देशों की तरह आईवीएफ सेंटर अंडाणु सुरक्षित कर रहे हैं। इसका मासिक आंकड़ा औसतन 8 से 10 है।
दिल्ली-एनसीआर में बदलते सामाजिक संबंधों के कारण एग फ्रीजिंग के मामले बढ़े हैं। पश्चिमी देशों की तरह आईवीएफ सेंटर अंडाणु सुरक्षित कर रहे हैं। इसका मासिक आंकड़ा औसतन 8 से 10 है। यानी हर साल लगभग सौ अंडाणु सुरक्षित किए जाते हैं। फिर भी, उच्च और उच्च मध्यम वर्ग में यह प्रवृत्ति अधिक होती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आज युवाओं का विचार है कि हर सुविधा मिलने के बाद एक बच्चे को जन्म देना चाहिए। यह सिर्फ शुरुआत है; सुविधाओं के विस्तार से यह तेजी से बढ़ जाएगा। AIMS और दूसरे बड़े अस्पतालों में दो साल पहले तक एग फ्रीजिंग की सुविधा विशेष मामलों में ही उपलब्ध थी। कैंसर से पीड़ित महिलाओं के अंडाणु इसमें सुरक्षित थे।
इसका कारण यह है कि कीमो के अलावा कैंसर के दूसरे उपचारों से अंडाणु नहीं बन पाए थे। ठीक होने पर वह मां बनने के योग्य नहीं रहती। चिकित्सकों ने कहा कि आजकल आम महिलाओं में भी यह चलन बढ़ा है। अब आईवीएफ सेंटर, जो पहले तकनीक की मदद से गर्भधारण करते थे, मांग होने पर एग फ्रीजिंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं करते हैं।
करीब दसवीं महिला हर महीने इस सेवा का उपयोग करती है। 35 से 40 साल की महिलाएं आम तौर पर उच्च और उच्च मध्यम वर्ग से आती हैं। इसकी वजह यह है कि आत्मनिर्भर होने के साथ कॅरिअर में शादी करने वाली महिलाएं घरेलू योजना बनाने के समय सीमा का दबाव नहीं रखना चाहती हैं। यही कारण है कि एग फ्रीजिंग उन्हें भविष्य में मां बनने का अवसर दे रही है। महिला के अंडाणु को सुरक्षित निकालकर एग फ्रीजिंग में फ्रिज में लंबे समय तक रखा जाता है। अंडाणु को वैज्ञानिक प्रक्रिया से गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है जब कोई महिला गर्भावस्था करने की इच्छा व्यक्त करती है।
एग फ्रीजिंग की मांग बढ़ रही है:-
आईवीएफ सेंटर की डॉक्टर डॉ. रीता बख्शी का कहना है कि हाल ही में आम महिलाओं में एग फ्रीजिंग की मांग बढ़ी है। इसके लिए हम अलग-अलग स्थानों को खोल रहे हैं। Delhi में 180 पंजीकृत HIV केंद्र हैं। बहुत से लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
लड़कियों की अधिक जागरुकता:-
इहबास के उप चिकित्सा अधीक्षक और मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश का कहना है कि आज लड़कियों में अधिक जागरूकता है। वह परिवार से अधिक अपने कॅरिअर को महत्व देती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति भविष्य में लाभदायक निर्णय ले रहा है। 15 से 45 साल की उम्र में एक लड़की मां बन सकती है। 350 अंडाणु पूरी जिंदगी में बनते हैं।
बेटियों को मां-बाप का साथ:-
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मनोरोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. लोकेश शेखावत ने बताया कि बेटियों को इस समय अपने माता-पिता का साथ मिल रहा है। शादी से पहले वह स्वतंत्र होना चाहती है। उनके लिए कॅरिअर महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि एग फ्रीजिंग का रुझान बढ़ा है।
बच्चा पैदा करने की महिलाओं की इच्छा भी महत्वपूर्ण:-
आज के युवा लोगों पर आर्थिक दबाव है, समाजशास्त्री प्रोफेसर संजय भट्ट का कहना है। जबकि उसका ध्यान हर सुविधा प्राप्त करने पर है। इससे शादी की आयु बढ़ गई है। मेट्रो शहरों में बहुत से प्रेम विवाहों में समता नहीं होती। बच्चे पैदा करने का निर्णय सिर्फ पुरुष नहीं है। स्त्री की इच्छा भी कम महत्वपूर्ण हो गई है लैंगिक समानता की दृष्टि से यह परिवर्तन अच्छा है।
यह कारण हैं
• अधिक उम्र में शादी करना
• शादी के बाद परिवार की योजना बनाने में लंबा समय बिताना
• हर सुविधा मिलने पर ही बच्चा जन्माने का विचार
• आज महिलाओं की मां बनने की इच्छा भी महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि पुरुषों पर निर्णय करने का अधिकार नहीं है
• एकल परिवार और असुरक्षा
• जेनेटिक कारण से 35 साल की उम्र में महिला की मां की महावारी बंद हो गई
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