मध्य प्रदेश चुनाव 2023 – जानिए क्षेत्र की चर्चित सीटें और समीकरण:-
MP Election 2023 इस क्षेत्र में 15 जिले शामिल हैं। कहा जाता है कि मालवा-निमाड़ से ही मध्य प्रदेश में सत्ता का द्वार खुलता है।
मध्य प्रदेश में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। प्रदेश में नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ सभी 230 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के चेहरों की तस्वीर भी साफ हो चुकी है। आगामी 17 नवबंर को प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। चुनाव से पहले अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ प्रदेशभर के मतदाताओं का मन टटोलने निकला है।
मुरैना जिले से शुरू हुआ ‘अमर उजाला’ का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ आज (9 नवंबर) खरगोन जिला पहुंचा है। खरगोन मालवा-निमाड़ क्षेत्र में आता है जो किसी भी दल के लिए सियासी रूप से बहुत अहम होता है। यहां पड़ने वाली 76 विधानसभा सीटें राज्य में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर मालवा-निमाड़ क्षेत्र का सियासी समीकरण क्या है? पिछली बार यहां का सियासी समीकरण किसके पक्ष में था? 2018 के पहले के चुनावों में यहां किसने बाजी मारी? इस बार की चर्चित सीटें कौन सी हैं?
मालवा-निमाड़ क्षेत्र का सियासी समीकरण क्या है?
प्रदेश की कुल 230 सीटों में से सर्वाधिक 66 सीटें मालवा-निमाड़ अंचल से आती हैं, जो प्रदेश की कुल सीटों का 28.7 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 15 जिले शामिल हैं, जिनमें नौ विधानसभा सीटों वाला इंदौर, उज्जैन (सात), रतलाम (पांच), मंदसौर (चार), नीमच (तीन), धार (सात) झाबुआ (तीन), अलीराजपुर (दो), बडवानी (चार) खरगोन (छह), बुरहानपुर (दो), खंडवा (चार), देवास (पांच), शाजापुर (तीन) और आगर मालवा (दो) शामिल हैं।
ऐसे में कहा जा सकता है कि मालवा-निमाड़ से ही मध्य प्रदेश में सत्ता का द्वार खुलता है। प्रदेश की राजधानी भले ही भोपाल है, लेकिन आर्थिक राजधानी का केंद्र बिंदु मालवा-निमाड़ ही है। प्रदेश के विकास के साथ-साथ राजनीतिक भूमिकाओं में मालवा-निमाड़ का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश बना और उसके बाद मालवा-निमाड़ से अब तक छह मुख्यमंत्री प्रदेश में रहे हैं। इस क्षेत्र का राजनीतिक प्रभाव संपूर्ण प्रदेश पर दिखता है।0
मालवा निमाड़ की चर्चित सीटें कौन सी हैं?
इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले सबसे चर्चित चेहरे भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंदौर-1 सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 से मौजूदा विधायक हैं, लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है।
इस क्षेत्र के अन्य चर्चित उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया हैं, जो मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भूरिया वर्तमान में झाबुआ (एसटी) सीट से विधायक हैं। कांग्रेस पार्टी ने अब उनके बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को इस सीट से मैदान में उतारा है।
पिछली बार मालवा-निमाड़ का सियासी समीकरण क्या था?
मध्य प्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव कई मायनों में बेहद रोमांचक रहा था। 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को बहुमत से दो कम 114 सीटें मिलीं थीं। वहीं, भाजपा 109 सीटों पर आ गई। हालांकि, यह भी दिलचस्प था कि भाजपा को 41% वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 40.9% वोट मिला था। बसपा को दो जबकि अन्य को पांच सीटें मिलीं।
वहीं मालवा-निमाड़ अंचल के परिणाम की बात करें तो वह कांग्रेस के पक्ष में गया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में उस वक्त की विपक्षी कांग्रेस को 35 सीटें जबकि सत्ताधारी भाजपा के 28 प्रत्याशी यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके आलावा तीन सीटों पर अन्य उम्मीदवार विजयी हुए थे।
नतीजों के बाद राज्य में कांग्रेस ने बसपा, सपा और अन्य के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस तरह से राज्य में 15 साल बाद कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने।
2013 के चुनावों में यहां किसने बाजी मारी?
प्रदेश में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। भाजपा को 165 सीटें मिलीं थीं। वहीं, कांग्रेस 58 सीटों पर ही रह गई थी। इसके अलावा अन्य को सात सीटें मिली थीं।
वहीं मालवा-निमाड़ क्षेत्र का चुनाव परिणाम एक-तरफा भाजपा की तरफ था। 2013 में भाजपा को 66 में से 56 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को महज नौ सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। इसके आलावा एक सीट पर अन्य प्रत्याशी की जीत हुई थी।
2008 के चुनाव में मालवा-निमाड़ क्षेत्र क्या हुआ था?
अंतिम परिसीमन के बाद 2008 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। इस बार भाजपा ने 143 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के 71 उम्मीदवार विजयी हुए थे। वहीं 16 सीटें अन्य के खाते में गई थीं।
2008 में मालवा-निमाड़ क्षेत्र का सियासी नतीजा भाजपा की ओर था। इस चुनाव में भाजपा ने यहां की 66 में से 41 सीटों पर जीत सुनिश्चित की थी, जबकि कांग्रेस के 24 उम्मीदवार को सफलता मिली थी। इसके अलावा एक सीट पर अन्य को जीत हासिल हुई थी।
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