खतरनाक जहरीला पानी का मूल मामूली बहस:-
चिंताजनक: चीन, भारत और बांग्लादेश के कपड़ा कारखाने हर साल छोड़ रहे 3.5 अरब टन जहरीला पानी, सेहत पर बड़ा खतरा शोधकर्ताओं के अनुसार वर्तमान में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बनाए गए 80 फीसदी तक डाई युक्त औद्योगिक अपशिष्ट जल को बगैर उपचारित किए जलमार्गों में छोड़ दिया जाता है या सीधे सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
कपड़ा कारखानों की अंधाधुंध सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल:-
कारखानों से निकलने वाला सिंथेटिक युक्त गंदा पानी स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इनमें सीडी, पीबी और एचजी जैसी भारी धातुएं मिली होती हैं, जो पौधों, जानवरों और लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ दुनिया भर के प्राकृतिक वातावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
सेहत पर खतरा: डाई युक्त औद्योगिक अपशिष्ट जल:-
शोधकर्ताओं के अनुसार वर्तमान में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बनाए गए 80 फीसदी तक डाई युक्त औद्योगिक अपशिष्ट जल को बगैर उपचारित किए जलमार्गों में छोड़ दिया जाता है या सीधे सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
जहरीला पानी का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
अरबों टन डाई युक्त अपशिष्ट जल हर साल जल प्रणालियों में प्रवेश करता है, जो कई समस्याएं पैदा करते हैं। प्रकाश को सूक्ष्मजीवों तक पहुंचने से रोकते हैं जो हमारी खाद्य श्रृंखलाओं के लिए अहम हैं। उनके प्रजनन और विकास को रोकते हैं, पौधों, मिट्टी, जानवरों और इंसान पर विषाक्त प्रभाव डालते हैं।
नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरमेंट में प्रकाशित अध्ययन बाथ विश्वविद्यालय, चीनी विज्ञान अकादमी, फुजियान कृषि और वानिकी विवि, कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी टेक्नोलॉजी और बेल्जियम के केयू ल्यूवेन ने संयुक्त रूप से किया है। कपड़ा उद्योग डाई का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता अध्ययनकर्ताओं के अनुसार रंगों का उपयोग रबर, चमड़ा टैनिंग, कागज, भोजन, फार्मास्यूटिकल्स और कॉस्मेटिक उद्योगों में किया जाता है।
जबकि सबसे बड़ा उपयोगकर्ता, कपड़ा व्यवसाय उत्पादित सिंथेटिक रंगों का 80 फीसदी उपयोग करता है और सालाना लगभग 70 अरब टन डाई युक्त अपशिष्ट जल उत्पन्न करता है। चीन, भारत और बांग्लादेश मिलकर हर साल लगभग 3.5 अरब टन कपड़े से संबंधित जहरीला पानी छोड़ते हैं।
इन खतरनाक सिंथेटिक रंगों से जल प्रदूषण बढ़ जाता है। कैंसरकारी जहरीले रसायन सिंथेटिक रंगों में सल्फर, नेफ्थॉल, वैट डाई, नाइट्रेट, एसिटिक एसिड, साबुन, एंजाइम क्रोमियम यौगिक और भारी धातुएं जैसे तांबा, आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम, पारा, निकल, कोबाल्ट और कुछ सहायक रसायनों की उपस्थिति होती है, जो कई कीटाणुनाशकों विशेषकर क्लोरीन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और ऐसे उत्पाद बनाते हैं जो अक्सर कैंसरकारी होते हैं।
इनमें से कई में एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएं देखी गईं हैं। नई टिकाऊ तकनीक की जरूरत यूके, चीन, कोरिया और बेल्जियम के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए नई झिल्ली आधारित, नैनो स्केल निस्पंदन सहित नई टिकाऊ तकनीकों की जरूरत है। औद्योगिक उत्पादकों को सार्वजनिक सीवेज प्रणालियों या जलमार्गों तक पहुंचने से पहले रंगों को खत्म करने के लिए कानून की आवश्यकता है।
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